पश्चिम बंगाल : सीबीआई ने धोखाधड़ी मामले में लघु बचत बैंक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
अधिकारियों ने कहा कि सूरजनगर निवासी शिकायतकर्ता आलोक रॉय ने आरोप लगाया है कि 18 जनवरी 2000 को गठित एक लघु बचत बैंक ने एजेंट की सहायता से लोगों से धन एकत्र किया था और आश्वासन दिया गया था कि ग्राहक किसी भी समय अपना पैसा निकाल सकता है। उन्होंने कहा कि आरोप है कि बैंक प्रबंधन ने उचित मानदंडों का पालन किए बिना, अवैध रूप से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से विभिन्न लोगों को बड़ी संख्या में ऋण जारी किए और इस कदाचार के कारण जमाकर्ताओं को बैंक से अपना पैसा वापस नहीं मिला।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में 20,000 से अधिक ग्राहकों के करोड़ों रुपये के निवेश संबंधी कथित ठगी के मामले में एक लघु बचत बैंक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। हाल में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तीन साल पुराने मामले को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को स्थानांतरित करने के अपने आदेश का उल्लंघन किए जाने पर राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। केंद्रीय एजेंसी ने रविवार को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी का हवाला देते हुए, अधिकारियों ने कहा कि मामले का प्रभार कलकत्ता उच्च न्यायालय के नए निर्देशों के बाद 16 सितंबर को सीआईडी द्वारा केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया गया। इससे पहले, 24 अगस्त को जलपाईगुड़ी में उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ ने सीबीआई को ‘अलीपुरद्वार महिला रिंदन समाबे समिति’ के प्रबंधन से संबंधित मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था, जिस पर अपने 21,163 ग्राहकों द्वारा जमा किए गए धन की ठगी का आरोप है।
अधिकारियों ने कहा कि सूरजनगर निवासी शिकायतकर्ता आलोक रॉय ने आरोप लगाया है कि 18 जनवरी 2000 को गठित एक लघु बचत बैंक ने एजेंट की सहायता से लोगों से धन एकत्र किया था और आश्वासन दिया गया था कि ग्राहक किसी भी समय अपना पैसा निकाल सकता है। उन्होंने कहा कि आरोप है कि बैंक प्रबंधन ने उचित मानदंडों का पालन किए बिना, अवैध रूप से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से विभिन्न लोगों को बड़ी संख्या में ऋण जारी किए और इस कदाचार के कारण जमाकर्ताओं को बैंक से अपना पैसा वापस नहीं मिला।
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