हम एनआरसी की अद्यतन सूची पर भरोसा नहीं करते हैं: असम भाजपा
दास ने कहा कि पार्टी बाहर किये गये लोगों द्वारा विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील किये जाने की प्रक्रिया और मामलों के फैसलों पर करीबी नजर रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि एफटी वास्तविक भारतीयों के खिलाफ प्रतिकूल आदेश देते हैं तो हम पूरे 19 लाख मामलों के निस्तारण की प्रतीक्षा नहीं करेंगे।
गुवाहाटी। असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अद्यतन सूची पर भरोसा नहीं करती हैं। पार्टी ने केन्द्र और राज्य सरकारों से राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी तैयार किये जाने का अनुरोध किया।भाजपा असम के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में आधिकारिक तौर पर पहले बताये गये आंकड़ों की तुलना में बाहर किये गये लोगों की बहुत छोटी संख्या बताई गई है।
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उन्होंने कहा, ‘‘हम इस एनआरसी पर भरोसा नहीं करते हैं। हम बहुत नाखुश हैं।...हम केंद्र और राज्य सरकारों से राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी तैयार किये जाने की अपील करेंगे।’’ दास ने कहा कि पार्टी बाहर किये गये लोगों द्वारा विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील किये जाने की प्रक्रिया और मामलों के फैसलों पर करीबी नजर रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि एफटी वास्तविक भारतीयों के खिलाफ प्रतिकूल आदेश देते हैं तो हम पूरे 19 लाख मामलों के निस्तारण की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। हम कानून लायेंगे और उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए काम करेंगे।’’
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दास ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने 1991-96 के अपने कार्यकाल के दौरान विधानसभा में असम में रहने वाले 30 लाख विदेशियों का आंकड़ा दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने राज्यसभा में कहा था कि दो करोड़ बांग्लादेशी भारत में घुस गये थे और उनमें से 50 लाख असम में बस गये थे।’’ उल्लेखनीय है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई। एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था। इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है।
भाजपा राज्य प्रमुख ने बताया कि पार्टी को स्वदेशी लोगों को बाहर किये जाने के बारे में विभिन्न जिलों से रिपोर्ट मिल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अनुमान के अनुसार, आवेदन करने वाले दो लाख वास्तविक भारतीय नागरिक एनआरसी से छूट गये। एनआरसी प्रारूप में नाम शामिल नहीं किये जाने के बाद चार लाख और लोगों ने अपील नहीं की।’’
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