लॉकडाउन के बीच बदला विरोध करने के तरीका, अब इस तरह कर रहे हैं लोग प्रदर्शन

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भारत में जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन अपने चरम पर था लेकिन वायरस ने लोगों को घरों में रहने और सामुदायिक दूरी बनाए रखने को मजबूर कर दिया।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशव्यापी बंद चल रहा है और ऐसे में विरोध प्रदर्शन के तरीके भी बंद के हिसाब से बदले हैं। चाहे घर पर अनशन हो, बालकनी से नारेबाजी करना हो, हैशटैंग ट्रेंड कराना हो या फिर वीडियो अभियान या ऑनलाइन याचिका डालना हो। भारत में जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन अपने चरम पर था लेकिन वायरस ने लोगों को घरों में रहने और सामुदायिक दूरी बनाए रखने को मजबूर कर दिया। कई प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हालांकि अब भी कई मुद्दों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।  

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इन प्रदर्शनकारियों ने बंद के बावजूद अन्य माध्यमों से अपनी आवाज बुलंद करना जारी रखा। विरोध दर्ज कराने के नए तरीकों का इस्तेमाल सिर्फ देश की जनता और प्रदर्शनकारी ही नहीं कर रहे हैं बल्कि विरोधियों को निशाना बनाने के लिए नेता भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे अनशन करना हो या फिर अपने छत पर तिरंगे फहराना हो। प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुख्य केंद्र माने जाने वाले राजस्थान के कोटा में दूसरे राज्यों के फंसे विद्यार्थियों ने अप्रैल में प्रदर्शन किया। इन्होंने अपने छात्रावासों और पीजी की छतों पर चढ़कर प्रदर्शन करते हुए घर भेजे जाने की मांग की थी।

कोटा में इंजीनियरिंग की तैयार करने वाली ऋषिका जैन ने बताया कि उन्होंने कोटा में अपने छात्रावासों और पीजी के ऊपर घेरे बनाए थे और मास्क पहनकर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए घर भेजे जाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। जैन का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शन का वीडियो बनाया। इसके बाद धीरे-धीरे सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान देना शुरू किया। जैन बंद की वजह से कोटा में फंसी थीं। वहीं जम्मू-कश्मीर के 1,200 श्रमिकों ने पंजाब के पठानकोट में 14 दिन के पृथक वास की अवधि पूरी करने के बाद घर नहीं भेजे जाने को लेकर तीन दिन तक अनशन किया। विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में अग्रिम मोर्चे पर रहने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ऑनलाइन प्रचार और विरोध के जरिए अपना प्रदर्शन बरकरार रख रहे हैं। 

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जेएनयू के एक विद्यार्थी ने कहा कि भले ही पानी की बौछार करने वाले टैंक पुलिस थाने में हो लेकिन आपत्ति जताना और अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखना बंद नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह बंद सिर्फ नागरिकों के लिए है। पुलिस तो कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और देशद्रोह समेत अन्य कानूनों का इस्तेमाल कर रही है। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा, ‘‘बंद के दौरान ही हमारी एक साथी कवलप्रीत कौर का फोन जब्त कर लिया गया। पुलिस ने जामिया के विद्यार्थियों को गिरफ्तार किया। मानवीय संकट को बंद के दौरान कम करने की कोशिश करने के बदले सरकार कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करने में व्यस्त है।’’

घोष ने कहा कि ऑनलाइन प्रचार अभियान शुरू किया गया। विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाती है और किसी अभियान को ट्रेंड कराके अपनी आवाज बुलंद की जाती है। वहीं देश में नेता भी कई तरीकों का इस्तेमाल करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तेलुगु देशम पार्टी के विधायक गड्डे राममोहन और उनकी पत्नी तथा पार्टी की नेता गड्डे अनुराधा ने 12 घंटे तक भूख हड़ताल की। उनकी मांग थी कि बंद की वजह से जिन लोगों से आजीविका छिन गई है, सरकार उन्हें प्रति परिवार 5,000 रुपये की सहायता दे। पंजाब में कांग्रेस के नेताओं ने एक मई को अपने घरों के ऊपर तिरंगे झंडे लहराए। ये सभी केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को वित्तीय सहायता पहुंचाने में कथित भेदभाव को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। 

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वहीं भाजपा की पंजाब इकाई ने बंद के दौरान जरूरतमंद लोगों तक अनाज नहीं पहुंचाने को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ अनशन करके प्रदर्शन किया। इस अवधि के दौरान कई नागरिकों ने ऑनलाइन याचिकाएं भी डालीं। चाहे वह स्कूलों की फीस वृद्धि के खिलाफ हो या फिर नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारियों को वेतन नहीं देने और आवश्यक सेवाओं में शामिल लोगों के साथ मकान मालिकों के दुर्व्यवहार का मामला हो। देश में 25 मार्च से बंद है और तीसरे चरण का बंद 17 मई तक जारी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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