भोपाल के विपिन ने बनाया मेडिसिन बैंक, खुद के खर्चे से कर चुका है 500 से अधिक लोगों की मदद
राजधानी भोपाल के विपिन ने कोरोना काल में कई लोगों की मदद की है।करोना की दूसरी लहर आमजन के लिए दुख का कारण बनी, तो विपिन ने एक दावा मेडिसिन बैंक बनाया। और मेडिसिन बैंक के माध्यम उसने 500 से अधिक जरूरतमंद लोगों तक दवाइयां पहुंचाई।विपिन ने कहा कि शुरुआती दौर में ये काम बड़ा कठिन था और कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।विपिन ने कहा कि मेरे सामने कोरोना की गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण का खतरा था।
भोपाल। राजधानी भोपाल के विपिन ने कोरोना काल में कई लोगों की मदद की है। डॉ विपिन जबलपुर के रहने वाले है और 12 साल पहले भोपाल आकर बस गए थे। बीडीएस की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी कर रहे है। लेकिन जैसे ही करोना की दूसरी लहर आमजन के लिए दुख का कारण बनी, तो विपिन ने एक दावा मेडिसिन बैंक बनाया। और मेडिसिन बैंक के माध्यम उसने 500 से अधिक जरूरतमंद लोगों तक दवाइयां पहुंचाई।
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बता दें कि विपिन ने उन लोगों को ढूंढा जिनके घर में कोई कोरोना संक्रमित हुआ और ठीक हो चुका था। विपिन ने ऐसे घरों को ढूंढा और उन लोगों के घर पर बची हुई दवाइयों को इकठ्ठा किया। बाद में उन्हीं दवाइयों को इकठ्ठा करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया। विपिन ने कहा कि शुरुआती दौर में ये काम बड़ा कठिन था और कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। विपिन ने कहा कि मेरे सामने कोरोना की गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण का खतरा था।
विपिन ने कहा कि शुरुआत में दवाइयां इकट्ठा करने के लिए उन्होंने लोगों को बोला, तो सभी को भी यह अटपटा सा लगा। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने अपने पांच साथियों का एक ग्रुप बनाया और व्हाट्सएप के माध्यम से ही एक दूसरे से कनेक्ट हुए ग्रुप में एक साथी संबंधित घर से दवाइयां लेकर आता, तो दूसरा साथी उसको उस जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचा था। फिर नजर आया कि कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने दवाइयों के लिए अपने घर के बर्तन से लेकर जेवर तक बेच दिए। तब विपिन ने ऐसे लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और यह सफल होने लगा और लोगों को एक दूसरे से इसके बारे में पता चलने लगा।
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विपिन ने यह भी बताया कि 2 महीने में ही हम दोस्तों ने मिलकर 500 से अधिक लोगों तक दवाइयां पहुंचा कर उनकी मदद की है। विपिन यह काम कुछ इस तरह से करते हैं कि दवाइयों की एक्सपायरी डेट के पहले ही वह लोगों तक इन दवाइयों को पहुंचा सके। विपिन ने बताया कि सिर्फ कोरोना की ही नहीं अन्य दवाइयों की भी जब लोगों को जरूरत होने लगी तो, उसके लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ कलेक्शन भी शुरू कर दिया। अपनी तनख्वाह के साथ ही अन्य साथियों के साथ मिलकर वह कुछ पैसे इकट्ठे करते और उन पैसों से ही जरूरतमंदों को दवाइयां पहुंचाने लगे।
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