Prabhasakshi's NewsRoomI देश एक फिर दो राज्यों में हिंसा क्यों? बारिश से दिल्ली पानी-पानी
सवाल यह है कि बारिश तो पहले भी होती थी, आज भी हो रही है और आने वाले दिनों में भी होगी। लेकिन सरकारें बारिश को लेकर तैयारियां क्या करती हैं। देश की राजधानी दिल्ली की जो तस्वीरें हम सबके सामने हैं वह वाकई हम सभी को हैरान करती है।
देश एक है, निशान एक है, संविधान भी एक है, दावा विविधता में एकता की होती है लेकिन जो खबरें पूर्वोत्तर के 2 राज्यों के बीच हुई हिंसा की आ रही है वह वाकई हैरान करने वाली है। विश्लेषण उस हिंसा की करेंगे जिसने एक बार फिर से दो राज्यों के बीच दीवारें खड़ी कर दी है। हम लगातार बात शांति, सद्भाव और भाईचारे के करते हैं लेकिन जब देश के ही दो राज्य सीमा को लेकर आमने-सामने हो जाए तो वाकई इस पर हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
सबसे पहले बात पूर्वोत्तर के 2 राज्यों के बीच हुई हिंसा की करते हैं। असम-मिजोरम की विवादित सीमा के पास संघर्ष के बाद तनाव बढ़ गया है। वहीं, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और एक-दूसरे की पुलिस को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा से बात की है और उनकी पुलिस शांति बनाए रखेगी। जोरामथांगा ने असम पुलिस पर लाठीचार्ज करने और आंसू गैस के गोले छोड़ने के आरोप लगाए जबकि असम की पुलिस ने दावा किया कि मिजोरम से बड़ी संख्या में ‘‘बदमाशों’’ ने पथराव किया और असम सरकार के अधिकारियों पर हमला किया। असम की बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हाइलाकांडी की 164 किलोमीटर लंबी सीमा मिजोरम के तीन जिलों आइजोल, कोलासीब और मामित के साथ लगती हैं। जमीन विवाद के बाद के अगस्त 2020 और इस वर्ष फरवरी में अंतरराज्यीय सीमा के पास संघर्ष हुए।
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असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद के अचानक खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाने से राज्य की “संवैधानिक सीमा” की सुरक्षा कर रहे असम पुलिस के कम से कम पांच जवानों की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक समेत 60 अन्य घायल हो गए। दोनों पक्षों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे की पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की। इससे पहले, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया था कि झड़प में छह पुलिसकर्मियों की मौत हुई। बाद में सोमवार देर रात असम सरकार ने एक बयान में मृतक संख्या में संशोधन किया और कहा कि पांच पुलिसकर्मियों की मौत हुई जबकि 50 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं। असम के कछार जिले के अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष में 10 अन्य लोग भी जख्मी हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों, हिमंत बिस्वा सरमा और जोरमथांगा से बात की और आश्वासन दिया है कि शांति सुनिश्चित करने और सीमा मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।। अमित शाह ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत में सीमा विवादों को सुलझाने की आवश्यकता को रेखांकित किया था जिसके दो दिन बाद यह घटना सामने आई है। दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृह मंत्री को
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार रात को एक वीडियो ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि असम के पुलिसवालों को मारकर मिजोरम की पुलिस, गुंडे जश्न जश्न मना रहे हैं. वीडियो में मिजोरम पुलिस के जवान एक-दूसरे को बधाई देते दिख रहे हैं।
After killing 5 Assam police personnel and injuring many , this is how Mizoram police and goons are celebrating.- sad and horrific pic.twitter.com/fBwvGIOQWr
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 26, 2021
सरकारे बदलती हैं, समय के साथ संसाधनों में इजाफा होता है। परंतु परिस्थितियां जस की तस दिखती है तो विकास के दावे बस जुमले ही लगने लगते हैं। आज कुछ ऐसा ही दिल्ली की सड़कों पर देखने को मिला। भारी बारिश से हर तरफ ट्रैफिक और जलभराव की स्थिति है।
राजधानी दिल्ली में सुबह हुई बारिश ने मौसम का सुहाना बना दिया है। तड़के हुई बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत भी पहुंचाई है। दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों में लगभग दो घंटे तक झमाझम बारिश होती रही। लेकिन इस बारिश ने दिल्ली एनसीआर का हाल बुरा कर दिया। तमाम सड़कों पर पानी भरा हुआ है जिसकी वजह से अलग-अलग इलाकों में भयंकर ट्रैफिक देखने को मिल रही है। सड़कों पर वाहन परिचालन कराना मुश्किल हो गया है। साथ ही साथ गलियां, पार्क हर जगह सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। जाहिर सी बात है बारिश हम सभी को अच्छी लगती है लेकिन इसके बाद होने वाली समस्याएं हमारे लिए कई मुश्किलें पैदा करती हैं।
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सवाल यह है कि बारिश तो पहले भी होती थी, आज भी हो रही है और आने वाले दिनों में भी होगी। लेकिन सरकारें बारिश को लेकर तैयारियां क्या करती हैं। देश की राजधानी दिल्ली की जो तस्वीरें हम सबके सामने हैं वह वाकई हम सभी को हैरान करती है। आजादी के 75 साल बाद भी हम देश की राजधानी में व्यवस्थाएं सही नहीं कर पाए हैं तो आखिर जिम्मेदार कौन है। चुनाव में नेता दावे तो बड़े-बड़े करते हैं लेकिन चुनाव के बाद 5 सालों तक भुगतना जनता को पड़ता है। उम्मीद है इस सावन तो नहीं लेकिन अगले सावन दिल्ली की हालत बदली रहेगी।
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