Vikas Dubey Case: अमर दुबे की पत्नी खुशी को मिली जमानत, अखिलेश-प्रियंका ने ट्वीट कर भाजपा पर साधा निशाना

akhilesh priyanka
ANI
अंकित सिंह । Jan 4 2023 6:09PM

प्रियंका गांधी ने लिखा कि कानपुर की खुशी दुबे को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल गई। भाजपा सरकार द्वारा अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए उसे जेल में डालना और महीनों तक प्रताड़ित करना अन्याय की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय के इस फैसले से न्याय की जीत हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी सहयोगी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जमानत दे दी। इस जमानत को लेकर अब राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। इस जमानत का स्वागत कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने किया है। खुशी दुबे को जमानत मिलने पर प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में प्रियंका गांधी ने लिखा कि कानपुर की खुशी दुबे को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल गई। भाजपा सरकार द्वारा अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए उसे जेल में डालना और महीनों तक प्रताड़ित करना अन्याय की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय के इस फैसले से न्याय की जीत हुई है।

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वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि खुशी दुबे की जमानत ‘भाजपा के अन्याय और नारी उत्पीड़न’ के दुष्प्रयासों की करारी हार है। उन्होंने कहा कि भाजपा याद रखे अंततः जीत न्याय की ही होती है; अहंकार की नहीं। आपको बता दें कि पूरा मामला जुलाई 2020 का है जब कानपुर के एक गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। खुशी दुबे का पति अमर बाद में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। खुशी पर आरोप है कि उसने विकास दुबे को गिरफ्तार करने गये पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बारे में सह-आरोपियों को बताया था। पुलिसकर्मियों की मौजूदगी का पता चलने के कारण ही कथित तौर पर पुलिसवालों की जान गई। उस पर गैंगस्टर विकास दुबे के सशस्त्र सहयोगियों को पुलिसकर्मियों को मारने के लिए उकसाने का भी आरोप है। 

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खुशी दुबे के वकील ने कहा कि यह एक निर्दोष व्यक्ति के ‘गलत समय पर गलत जगह’ होने का मामला मात्र है, क्योंकि तीन जुलाई की घटना के सात दिन पहले ही उसकी शादी अमर दुबे से हुई थी। कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों पर उस समय घात लगाकर हमला किया गया, जब वे विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रहे थे। ये पुलिसकर्मी तीन जुलाई, 2020 की आधी रात के बाद बिकरू गांव के घरों की छतों से चली गोलियों की चपेट में आ गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि विकास दुबे 10 जुलाई को उस वक्त एक मुठभेड़ में मारा गया था जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रही पुलिस की एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और उसने भागने की कोशिश की थी। ख़ुशी दुबे के वकील तन्खा ने शीर्ष अदालत को बताया कि मामले में 100 से अधिक गवाहों की गवाही होनी है और उसके (खुशी के) खिलाफ आरोपों को ध्यान में रखते हुए जमानत देने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है। 

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