OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का CM योगी ने किाय स्वागत, जानें ट्वीट कर क्या कहा

CM Yogi
ANI
अंकित सिंह । Jan 4 2023 5:24PM

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े दूसरे पक्षों को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी से 3 हफ्तों के भीतर जवाब देने को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला योगी सरकार के लिए काफी राहत लेकर आया है।

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां लगातार जारी है। इस चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण का मुद्दा अब राजनीतिक रूप से काफी चर्चा का विषय बन चुका है। दरअसल, पूरा मामला तब उठा जब हाईकोर्ट ने 27 दिसंबर को राज्य सरकार द्वारा जारी की गई ओबीसी सूची को खारिज कर दिया था। उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दिया था। सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल उत्तर प्रदेश के योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े दूसरे पक्षों को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी से 3 हफ्तों के भीतर जवाब देने को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला योगी सरकार के लिए काफी राहत लेकर आया है। 

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में योगी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में हाईकोर्ट के पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है,रोक के आदेश का स्वागत करता हूँ!

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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव जी एंड कंपनी जो स्वयं पिछड़ो के विरोधी हैं उनको करारा जबाब है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। 

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