विजय गोखले ने विदेश सचिव के तौर पर पदभार संभाला
अनुभवी राजनयिक विजय केशव गोखले ने आज देश के विदेश सचिव के तौर पर पदभार संभाल लिया। गोखले को चीन और पूर्वी एशिया मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है।
नयी दिल्ली। अनुभवी राजनयिक विजय केशव गोखले ने देश के विदेश सचिव के तौर पर पदभार संभाल लिया। गोखले को चीन और पूर्वी एशिया मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। भारतीय विदेश सेवा के 1981 बैच के अधिकारी गोखले ने एस जयशंकर के स्थान पर विदेश सचिव का पद संभाला है और वह इस पद पर अगले दो वर्ष तक बने रहेंगे।
यह नयी जिम्मेदारी संभालने से पहले गोखले विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) थे। विदेश सचिव के तौर पर गोखले के समक्ष कई चुनौतियां होंगी। इनमें भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार से संबंध सुधारना शामिल है जहां चीन अपना प्रभाव बढ़ाने को प्रयासरत है।
यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या वह पाकिस्तान के संबंध में भारत के रूख में कोई परिवर्तन लाते हैं। गोखले ने गत वर्ष भारत और चीन की सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले डोकलाम गतिरोध को सुलझाने के लिए हुई बातचीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वह यहां विदेश मंत्रालय मुख्यालय में वापसी से पहले 20 जनवरी 2016 से 21 अक्तूबर 2017 तक चीन में भारत के राजदूत थे।
गोखले की इससे पहले की राजनयिक जिम्मेदारियों में हांगकांग, हनोई, बीजिंग और न्यूयार्क में तैनाती शामिल है। वह यहां विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान उप सचिव (वित्त), निदेशक (चीन और पूर्वी एशिया) और संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) रह चुके हैं। गोखले का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। नियमों के तहत विदेश सचिव, रक्षा सचिव और गृह सचिव, सीबीआई और गुप्तचर ब्यूरो प्रमुखों के पदों का कार्यकाल दो वर्ष का होता है।
इस महीने के शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने गोखले की विदेश सचिव पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी थी। जयशंकर को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ ही दिन पहले जनवरी 2015 में दो वर्ष के लिए विदेश सचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने सुजाता सिंह का स्थान लिया था जिनके कार्यकाल में सरकार ने अचानक ही कटौती कर दी थी।
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