RTI रिपोर्ट में खुलासा, 3 वर्षों में वंदे भारत की गति 84 से घटकर 76 किमी प्रति घंटे हुई

Vande Bharat
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ANI

रेलवे अधिकारियों ने कहा कि न केवल वंदे भारत बल्कि कई अन्य ट्रेनें भी उन मार्गों पर गति को लेकर सावधानी बरत रही हैं जहां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचागत कार्य चल रहे हैं। रेलवे अधिकारी ने कहा, इसके अलावा, कुछ वंदे भारत ट्रेनें दुर्गम क्षेत्रों में भी चलाई गई हैं, जहां भौगोलिक कारणों या खराब मौसम की वजह से तेज गति प्रतिबंधित हैं।

नयी दिल्ली। वंदे भारत ट्रेनों की औसत गति 2020-21 में 84.48 किलोमीटर प्रति घंटे से घटकर 2023-24 में 76.25 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई है। रेल मंत्रालय ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत एक आवेदन के जवाब में यह जानकारी दी है। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि न केवल वंदे भारत बल्कि कई अन्य ट्रेनें भी उन मार्गों पर गति को लेकर सावधानी बरत रही हैं जहां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचागत कार्य चल रहे हैं। रेलवे अधिकारी ने कहा, इसके अलावा, कुछ वंदे भारत ट्रेनें दुर्गम क्षेत्रों में भी चलाई गई हैं, जहां भौगोलिक कारणों या खराब मौसम की वजह से तेज गति प्रतिबंधित हैं। 

मुंबई सीएसएमटी और मडगांव के बीच वंदे भारत ट्रेन का उदाहरण देते हुए सेंट्रल रेलवे जोन के एक अधिकारी ने कहा, कोंकण रेलवे का अधिकांश क्षेत्र घाट है, जहां ट्रेनें कम ऊंचाई वाली पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरती हैं। यह दुर्गम क्षेत्र है, जहां गति बढ़ाने से सुरक्षा का सवाल पैदा हो जाता है। उन्होंने आगे कहा, मानसून के मौसम में ट्रेनों का संचालन तब चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जब हमें सभी ट्रेनों की अधिकतम गति 75 किलोमीटर प्रति घंटा रखनी होती है। आरटीआई आवेदक मध्य प्रदेश निवासी चंद्रशेखर गौड़ ने कहा, आरटीआई के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि वंदे भारत ट्रेनों की औसत गति 2020-21 में 84.48 किमी प्रति घंटा थी, जो 2022-23 में घटकर 81.38 किमी प्रति घंटा हो गई। 

साल 2023-2024 में इसकी रफ्तार और कम होकर 76.25 किमी प्रति घंटा रह गई। 15 फरवरी, 2019 को शुरू की गई वंदे भारत एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है जो अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। हालांकि, खराब ट्रैक स्थितियों के कारण, यह दिल्ली-आगरा मार्ग को छोड़कर देश में कहीं भी 130 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से नहीं चल सकती। रेलवे अधिकारी ने कहा कि वंदे भारत की गति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रेलवे पटरियों की मरम्मत करके उन्हें उन्नत बना रहा है और इन कारणों से विभिन्न स्थानों पर सावधानी बरती जा रही है। 

उन्होंने कहा कि एक बार ये कार्य पूर्ण हो जाने पर हमारे पास ऐसी ट्रेनें होंगी जो 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलेंगी। देहरादून-आनंद विहार (63.42 किमी प्रति घंटा), पटना-रांची (62.9 किमी प्रति घंटा) और कोयंबटूर-बैंगलोर कैंट (58.11 किमी प्रति घंटा) ये वो मार्ग हैं जहां वंदे भारत की गति इसकी समग्र औसत गति से भी खराब है। ट्रैक निर्माण में लगे एक विशेषज्ञ ने कहा कि पहली वंदे भारत 2019 में शुरू हुई थी और तब से लेकर अभी तक अर्ध-उच्च गति वाली ट्रेनें चलाने लायक पटरियां नहीं बिछाई गई हैं। 

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हालांकि, रेल मंत्रालय का कहना है कि लोकप्रिय वंदे भारत ट्रेनों में 31 मार्च तक 2.15 करोड़ से अधिक लोग यात्रा कर चुके हैं। वंदे भारत में कई विशेषताएं हैं जैसे कवच सुरक्षा, 160 किमी प्रति घंटे तक की तीव्र गति, पूरी तरह से सीलबंद गैंगवे, स्वचालित प्लग दरवाजे, रिक्लाइनिंग एर्गोनोमिक सीटें आदि। रेल अधिकारी ने बताया, देश भर में कुल 284 जिले वंदे भारत एक्सप्रेस से जुड़ चुके हैं। रेलवे नेटवर्क के 100 मार्गों पर कुल 102 वंदे भारत ट्रेनें सेवाएं दे रही हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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