कीप योर फ्रेंड्स क्लोज, एंड योर एनिमीज क्लोजर, China के लिए ट्रिपल D फॉर्मूला, करतारपुर-क्रिकेट सुधारेगा Pak संग हालात?
पुरानी कहावत है 'कीप योर फ्रेंड्स क्लोज, एंड योर एनिमी क्लोजर' यानी अपने दोस्तों को करीब रखो और अपने दुश्मनों को और भी करीब रखो। भारत के अभी के एक महीने के कदम पर गौर करें तो आपकी उसके एक्शन में इसकी बानगी नजर आ जायेगी।
अक्सर ये कहा जाता है कि अगर हमारे पड़ोसी अच्छे हैं तो हमारी रोजमर्रा की कई छोटी-बड़ी बातों की फिक्र यूं ही खत्म हो जाती है। यही फॉर्मूला देशों पर भी लागू होता है। मई 2003 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। हालांकि, मौका मिलने पर चीन और पाकिस्तान ऐसे पड़ोसी हैं जिसे हर कोई बदलना चाहेगा। कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से खराब रहे हैं। यह परंपरागत रूप से भारत में आतंक का निर्यात करता रहा। वहीं बात चीन की करें तो दूसरों की जमीन पर अतिक्रमण करना और दोस्ती की आड़ में दगाबाजी का खंजर घोपने का उसका पुराण रिकॉर्ड रहा है। इसलिए भारत संग दोनों देशों के रिश्ते हालिया कुछ सालों में सबस खराब दौर में रहे हैं। साल 2019 के बाद से भारत पाकिस्तान की ओर से कोई विशेष पहल नहीं हुई है। वहीं गलवान में हुई झड़प के बाद चीन के साथ सैन्य स्तर पर तो बात हो रही लेकिन शीर्ष स्तर पर द्विपक्षीय संवाद की कमी नजर आयी। पुरानी कहावत है 'कीप योर फ्रेंड्स क्लोज, एंड योर एनिमी क्लोजर' यानी अपने दोस्तों को करीब रखो और अपने दुश्मनों को और भी करीब रखो। भारत के अभी के एक महीने के कदम पर गौर करें तो आपकी उसके एक्शन में इसकी बानगी नजर आ जायेगी।
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पाक से रिश्ते
पाकिस्तान के साथ भारत की बातचीत पिछले कई सालों से बंद पड़ी है। विदेश मंत्री जयशंकर के अंदाज में कहे तो द्विपक्षीय संबंधों के बारे में जो पाकिस्तान का रवैया होगा, भारत की प्रतिक्रिया उसी के अनुरूप होगी। लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए बीते दिनों इस्लामाबाद गए। 9 साल के अंतराल के बाद पहली बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की सरजमीं पर कदम रखा था। लंबे वक्त से पाकिस्तान का कोई न कोई अधिकारी या मंत्री इस बात की पैरवी करता आया है कि भारत के साथ विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए। यही वजह है कि पाकिस्तान इस उम्मीद में है कि किसी तरह मुलाकात के जरिए दोनों के बीच के तनाव को कम किया जाए।
जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा के बाद बदले पाकिस्तान के सुर
16 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा के बाद भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों में प्रारंभिक लेकिन सकारात्मक बदलाव आया है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने उम्मीद जताई कि जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा के साथ, भारत और पाकिस्तान दोनों अतीत को पीछे छोड़ सकते हैं और ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसी भविष्य की समस्याओं से निपट सकते हैं। नवाज के बयान और उनके भाई शाहबाज के बॉडी लैंग्वेज से साफ प्रतीत होता है कि पाकिस्तान बार बार ये संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वो तो भारत से दोस्ती करने को आतुर है।
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करतारपुर से लेकर क्रिकेट डिप्लोमेसी तक
जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा और पीएम शहबाज से मुलाकात के बाद एक बड़ा फैसला सामने आया। भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर समझौते की वैधता को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने पर सहमति जताई है। वहीं पाकिस्तान की तरफ से दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध फिर शुरू किए जाने की मांग भी की जा रही है। हालांकि भारत की तरफ से इसपर सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। गौरतलब है कि तनाव के बीच अक्सर क्रिकेट सीरीज ने शांति बहाल करने में खास भूमिका निभाई है। कई बार बहुत खराब दिनों में भारत- पाकिस्तान की सरकारों ने क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा लिया।
मोदी-जिनपिंग मुलाकात
रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पांच साल बाद द्विपक्षीय बातचीत हुई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पीएम मोदी ने सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को हमारी सीमाओं पर शांति भंग न करने देने के महत्व को रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों को सीमा प्रश्न के समाधान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और बुद्धिमत्ता के साथ, और एक-दूसरे की संवेदनशीलता, हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं के लिए पारस्परिक सम्मान दिखाकर, दोनों देश शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभकारी द्विपक्षीय संबंध बना सकते हैं। भारत और चीन दोनो देश इस बात को लेकर तो राजी हुए है कि द्विपक्षीय संबंधो की बेहतरी मे ही दोनो देशो का भला है। हालांकि यह भी सच है कि जहां भारत ने पट्रोलिंग अरेजमेट का जिक्र अपने आधिकारिक बयान मे किया था, वही चीन के विदेश मंत्रालय ने इससे दूरी बनाई।
ट्रिपल डी के पूरा होने पर पिघलेगी रिश्तों पर जमी बर्फ
एलएसी पर अप्रैल 2020 से पहली वाली स्थिति तब मानी जाएगी, जब तीन डी यानी डिसइंगेजमेंट, डीएस्केलेशन, डीइंडक्शन पूरा हो जाए। भारत और चीन के बीच सहमति के हिसाब से देपसांग और डेमचॉक में डिसइंगेजमेंट होने पर पहला डी ही पूरा होगा। डिसइंगेजमेंट का मतलब है कि सैनिको का आमने-सामने से हटना। दूसरी स्टेज है है डीएस्केलेशन। जिसका मतलब है कि दोनों देशों के सैनिक साजोसामान जो इस तरह तैनात किए गए है कि जरूरत पड़ने पर कभी भी एक-दूसरे पर हमला हो सकता है, उसे सामान्य स्थिति में लाना। तीसरा डी है, डीइंडक्शन। अभी पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर दोनों तरफ से 50-50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात है। डीइंडक्शन का मतलब है कि जो भी भारी तादाद में सैनिक और साजो सामान तैनात है, उसे वापस पुरानी पोजिशन में भेजना।
क्या चीन पर भरोसा किया जा सकता है?
ये एक ऐसा सवाल है , जिसका जवाब चीन ने इतिहास में पिछले कई मौकों पर अपने कदमों के जरिये खुद ही दिया है। हमारे पड़ोसी का भरोसा तोड़ने का पुराना इतिहास रहा है। चीनी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच वे 1993, 1996, 2005 और 2013 में हुए समझौतों को । पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। अभी भी अगर देखें तो डिसइंगेजमेंट के लिए जो सहमति पहले हुई थी, उसके तहत एक अस्थायी बफर जोन बनाया गया था। यह जोन भारत के इलाके में ही बना था। इस इलाके में सैन्य गश्ती की ताजा सहमति हुई है और इसमें यह साफ नहीं कहा गया है कि बफर जोन का क्या होगा। चीन की ओर से सहमति का ऐलान नहीं किया गया, केवल पुष्टि के तौर पर ही कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सीमा मसले पर एक हल खोजा गया है। डर यह है कि चीन के साथ भारत के संबंध एक जाने पहचाने पैटर्न पर फिर से ना चल पड़े।
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