गुजरात के जिस रेलवे स्टेशन पर मोदी ने बेची थी चाय, क्या है वहां के लोगों की चुनावों पर राय
दरअसल गुजरात में विकास सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवों तक में दिखता है। गुजरात को समझना है तो यहां आकर हकीकत देखनी होगी। यहां पिछले ढाई दशक में हुए समावेशी विकास को देखना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बचपन में गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे। जैसे ही प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आकर रुकती थी बाल्यकाल में मोदी गर्म चाय यात्रियों के बीच लेकर जाया करते थे। यदि आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि बचपन में मोदी ने वडनगर रेलवे स्टेशन पर या उसके आसपास के इलाके में जो कमियां या सुविधाओं का जो अभाव देखा था क्या उन सब समस्याओं को उन्होंने अब दूर किया? तो आइये जवाब के लिए आपको लिये चलते हैं गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन। गुजरात में भाजपा की ओर से किये गये विकास के दावों में कितना दम है और क्या आम आदमी पार्टी की ओर से किये जा रहे धुआंधार प्रचार और मुफ्त के वादों के बावजूद जनता मोदी के साथ है यह जानने के लिए जब लोगों से बात की गयी तो सभी ने कहा कि यहां के रेलवे स्टेशनों की ही नहीं बल्कि आसपास के पूरे इलाके की दशा और दिशा में जबरदस्त सुधार किया गया है। लोगों ने माना कि शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं बढ़ी हैं और सड़कें बेहतर होने से आवागमन सुरक्षित और सुलभ हुआ है। लोगों ने कहा कि चुनाव एकतरफा है और मोदी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मीडिया से बातचीत में स्थानीय लोग हर सुविधा के लिए 'धन्यवाद मोदी साहेब' कहते नजर आये।
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दरअसल गुजरात में विकास सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवों तक में दिखता है। गुजरात को समझना है तो यहां आकर हकीकत देखनी होगी। यहां पिछले ढाई दशक में हुए समावेशी विकास को देखना होगा और नेताओं की नहीं बल्कि आम जनता की प्रतिक्रिया जाननी होगी। यदि आपने यह काम किया तो गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणाम क्या होने वाले हैं इसके लिए 8 दिसंबर तक इंतजार करने की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी। पहले ही आपको अंदाजा हो जायेगा कि गुजरात का राजनीतिक भविष्य क्या रहने वाला है।
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