Bengaluru के टेक एक्सपर्ट का LinkedIn post हुआ वायरल, टॉक्सिक वर्क एनवायरमेंट पर किया कमेंट
तकनीकी विशेषज्ञ ने एक लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि कंपनी में किस तरह के टॉक्सिक वर्क एंवायरमेंट होता है। लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने बताया कि कंपनी के साथ उन्होंने महज तीन महीने काम किया है। मगर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
बेंगलुरु में एक तकनीकी विशेषज्ञ ने अपने पूर्व मैनेजर पर ऐसा आरोप लगाया है, जिसपर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। तकनीकी विशेषज्ञ ने अपने पूर्व मैनेजर पर टॉक्सिक एनवायरमेंट बनाने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद हर तरफ हलचल मच गई है।
तकनीकी विशेषज्ञ ने एक लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि कंपनी में किस तरह के टॉक्सिक वर्क एंवायरमेंट होता है। लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने बताया कि कंपनी के साथ उन्होंने महज तीन महीने काम किया है। मगर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा कि वो एक अमेरिकी आधारित कंपनी की भारतीय टीम के लिए काम करते थे। मगर समय के साथ उन्हें कंपनी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें “माइक्रो मैनेजमेंट” और कोई “क्रिएटिव गाइडेंस” नहीं था।
उन्होंने कहा, "फ्रेशर होने के बाद भी मुझसे अनुभवी कर्मचारियों के समान ही काम करने की अपेक्षा की जाती थी, जबकि मुझे पर्याप्त गाइडेंस और ट्रेनिंग नहीं मिलती थी। प्रबंधन शैली अक्सर प्रतिकूल लगती थी। उन्होंने मेरे काम पर रचनात्मक प्रतिक्रिया देने या मेरी कार्यकुशलता को बेहतर बनाने में मेरी मदद करने के बजाय, छोटी-मोटी गलतियों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि ब्रेक का समय एक मिनट से ज़्यादा होना।"
उन्होंने बताया कि उन्होंने इस पद के लिए साक्षात्कार के दौरान अपने प्रत्यक्ष SaaS अनुभव की कमी के बारे में स्पष्ट रूप से बताया था - और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उन्हें सलाह दी जाएगी और उनका समर्थन किया जाएगा। कर्मचारी ने शिकायत की कि सितंबर की शुरुआत में संगठन में शामिल होने के बाद उन्हें बहुत कम मार्गदर्शन मिला था। उन्होंने लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में कई स्थानों पर इसके लिए अपने पर्यवेक्षक को दोषी ठहराया तथा कहा कि उनकी चिंताओं को खारिज कर दिया गया।
लिंक्डइन पर उन्होंने बताया, "मुझे हर हफ़्ते 35-40 केस (ईमेल) मैनेज करने का काम सौंपा गया था, जो SaaS डोमेन में नए व्यक्ति के लिए बहुत ज़्यादा है। इसके अलावा, मुझे अपने निर्धारित घंटों से ज़्यादा काम करने के लिए मजबूर किया गया। यहां तक कि मेरी शिफ्ट खत्म होने से एक मिनट पहले दिए गए केस भी पूरे करने पड़ते थे, जिसके लिए मुझे अक्सर अपनी शिफ्ट के बाद रोजाना 2+ घंटे काम करना पड़ता था।"
इस घटना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आक्रोश पैदा कर दिया है और कई टिप्पणीकारों ने इसे कंपनी का ‘अस्वीकार्य व्यवहार’ माना है। कई लोगों ने यह भी बताया कि उन्हें (या उनके जानने वालों को) कंपनी के साथ ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा है।
"मेरे दोस्त का भी कुछ ऐसा ही अनुभव था। साथ ही, वहां लोगों को उनके काम के 10वें या 11वें महीने में नौकरी से निकाल देना एक आम बात है, ताकि कंपनी ईसॉप्स देने से बच सके। वे हमेशा वरिष्ठ/उच्च नेतृत्व वाले पदों के लिए भर्ती करते हैं, क्योंकि वरिष्ठ लोग इस विषाक्त वातावरण में लंबे समय तक नहीं रह सकते," एक लिंक्डइन उपयोगकर्ता ने तर्क दिया।
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