कोविड-19 के खिलाफ भारत की सफलता की कहानी में टीका निर्माताओं ने बड़ी भूमिका निभाई: प्रधानमंत्री
देश में टीकाकरण के पात्र वयस्कों में से 75 प्रतिशत से अधिक लोगों को कम से कम एक खुराक लग चुकी है, जबकि करीब 31 प्रतिशत लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी हैं। नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी पात्र लोगों को टीकों की पहली खुराक दी जा चुकी है।
नयी दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान की सफलता की पृष्ठभूमि में पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है।
उन्होंने टीका निर्माताओं के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि अगर देश पुराने मानदंडों का पालन कर रहा होता, तो यह टीकाकरण के उस स्तर तक नहीं पहुंच पाता, जो अब तक उसने हासिल किया है।
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मोदी ने यह भी कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने के वास्ते वैक्सीन निर्माताओं को लगातार मिलकर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोविड-19 रोधी टीके बनाने वाली भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान यह बात कही।
कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रधानमंत्री का नेतृत्व भारत में केवल नौ महीनों में टीकों की 100 करोड़ खुराक देने में सक्षम होने का एक महत्वपूर्ण कारक था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि टीकाकरण अभियान की सफलता के मद्देनजर पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है।
साथ ही उन्होंने टीका निर्माताओं से भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री से इस मुलाकात में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, जाइडस कैडिला, बॉयोलॉजिकल ई, जेन्नोवा बायोफार्मा और पैनेसिया बायोटेक के प्रतिनिधि मौजूद थे।
इनके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती पवार ने भी बैठक में शिरकत की। इस दौरान इन प्रतिनिधियों ने कहा कि महज नौ महीनों में नागरिकों को टीकों की 100 करोड़ खुराक देने के पीछे प्रधानमंत्री का नेतृत्व एक प्रमुख कारक रहा।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी 100 करोड़ खुराक उपलब्ध कराने के लिए टीका निर्माताओं के प्रयासों व उनकी कड़ी मेहनत की जमकर सराहना की।
पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री नेपिछले डेढ़ वर्षों में मिले सर्वश्रेष्ठ अनुभवों को संस्थागत करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह वैश्विक मानदंडों के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ प्रयासों को विकसित करने का एक मौका भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण अभियान की सफलता के परिदृश्य में पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। टीका निर्माताओं को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार साथ मिलकर काम करते रहने की आवश्यकता है।’’
बैठक के बारे में ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की वैक्सीन सेंचुरी ने व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है और गतिशील वैक्सीन निर्माताओं के प्रयासों के बिना टीकाकरण अभियान सफल नहीं हो पाता।
मोदी ने कहा कि टीका निर्माताओं के साथ उनका संवाद उत्कृष्ट था। वैक्सीन निर्माताओं के साथ बातचीत के दौरान, मोदी ने कहा कि उन्होंने टीके को रोल आउट करते समय और आने वाले समय के लिए तैयार रहने के दौरान, विशेष रूप से भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए हमारी प्रक्रियाओं को उचित रूप से संस्थागत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब तक टीकों की 101.30 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। बैठक के बाद सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री की दृष्टि को श्रेय दिया और कहा कि टीका उद्योग को आगे ले जाने, क्षमता लगातार बढ़ाने और भविष्य की महामारियों की तैयारी को लेकर प्रधानमंत्री के साथ बैठक में चर्चा हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘अब पूरे विश्व में, देश टीकों के उत्पादन में निवेश करने वाले हैं और भारत को इसमें आगे रहने की जरूरत है। इसे सरकार और उद्योग जगत के साथ मिलकर कैसे आगे बढ़ाना है, इस बारे में हमने चर्चा की।’’ अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला ने कहा कि उनके मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री ने अगर स्वास्थ्य मंत्रालय का नेतृत्व ना किया होता तो आज भारत टीकों की एक सौ करोड़ खुराक नहीं उपलब्ध करा पाता।
उन्होंने कहा, ‘‘जब वह पिछले साल नवंबर में पुणे आए थे तो मैंने उन्हें आश्वस्त किया था कि टीकों के मामले में हम भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे और दुनिया का सबसे सस्ता टीका विकसित करेंगे। आज वह बहुत खुश थे कि उस आश्वासन को हमने पूरा किया है।’’
एक वीडियो संदेश में जाइडस कैडिला के पंकज पटेल ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों ने टीके विकसित किए, उसके लिए सबसे बड़े कारक प्रधानमंत्री थे।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने शुरू से हमें प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि आप करो, सरकार आपके साथ है। आपको जहां भी असुविधा होगी, सरकार आपको सहयोग करेगी। इसी वजह से हम टीके विकसित कर पाए।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत में नवोन्मेष का जो नया अध्याय आरंभ हुआ है, वह बहुत तेजी से बढ़ेगा और भारत एक नवोन्मेषी राष्ट्र के रूप में उभरेगा। भारत बायोटेक के कृष्णा इल्ला ने कहा कि 100 करोड़ टीकों की खुराक देने की उपलब्धि आसान नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इसे करने को लेकर प्रतिबद्ध थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी नकारात्मक्ताओं को अवसर में परिवर्तित किया। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने इसे संभव कर दिखाया। मैं समझता हूं कि कोई नेता अपने देश के लिए क्या कर सकता है, यह उसका उदाहरण है।’’
भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा इल्ला ने इस मुलाकात के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया और एक ट्वीट में कहा कि यह संवाद विचारोत्तेजक और वैश्विक नवोन्मेष और निर्माण में नेतृत्व देने के लिए भारतीय बायोफार्मा कंपनियों को तैयार करने की अंतरदृष्टि वाला रहा। भारत ने 21 अक्टूबर को महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान के तहत एक अरब खुराक का आंकड़ा पार कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी, जिसके लिए दुनियाभर से देश को बधाई मिलने का सिलसिला जारी है।
देश में टीकाकरण के पात्र वयस्कों में से 75 प्रतिशत से अधिक लोगों को कम से कम एक खुराक लग चुकी है, जबकि करीब 31 प्रतिशत लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी हैं। नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी पात्र लोगों को टीकों की पहली खुराक दी जा चुकी है।
टीकाकरण मुहिम की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी और इसके पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाए गए थे। इसके बाद दो फरवरी से अग्रिम मोर्चे के कर्मियों का टीकाकरण आरंभ हुआ था।
टीकाकरण मुहिम का अगला चरण एक मार्च से आरंभ हुआ, जिसमें 60 साल से अधिक आयु के सभी लोगों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीके लगाने शुरू किए गए। देश में 45 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक अप्रैल से आरंभ हुआ था और 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक मई से शुरू हुआ।
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देश के टीकाकरण अभियान में तीन टीकों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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