भारतीय हूं, मदद करें...जब उज्मा को सुष्मा की वजह से नसीब हुई वतन की मिट्टी, The Diplomat की असल कहानी

उजमा के भारत लौटने का श्रेय सुषमा स्वराज ने भारतीय मिशन को दिया। लेकिन उजमा ने अपनी घर वापसी का श्रेय सुषमा स्वराज को दिया। उजमा ने कहा कि सुषमा मैडम, हर रोज और कई बार तो दिन में तीन या चार बार मुझे फोन करती थीं। वो कहती थीं कि बेटा फिक्र मत करो। तुम इस देश की, भारत की बेटी हो। हिम्मत रखना। हम तुम्हें कुछ नहीं होंने देंगे। तुम्हें ताहिर के साथ नहीं जानें देंगे।
जब भी भारत और पाकिस्तान को लेकर कोई फिल्म बनाई जाती है तो उसमें अतिरंजना जबरदस्ती ठूंस दी जाती है। इस फिल्म को एक डिप्लोमैट के नजरिए से दिखाया गया है, जिसकी जुबान ही उसका हथियार है। जब वो चलती है तो दुनिया जलती है। यकीन न हो तो हमारे वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर को ही देख सकते हैं। भारत के विरूद्ध किसी भी किस्म के प्रोपगैंडा को हंसते, मुस्कुराते अपने अंदाज में जमींदोज करना तो कोई उनसे सीखे। जयशंकर ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि वो खुद एक डिप्लोमैट रहे हैं। बात कब बोलनी है और कहां बोलनी है, कितनी बोलनी है, ये उनसे बेहतर कोई नहीं जानता है। लेकिन ठीक इसी तरह हमारे एक और डिप्लोमैट जेपी सिंह जिन्होंने 2017 में उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मिलकर पाकिस्तान की जमीन से धोखे से फंसाई गई उजमा अहमद को पूरे डिप्लोमैटिक पावर के साथ वापस इंडिया लाया था। 25 मई 2017 की वह तस्वीर को भला कौन भूल सकता है, जब भारत मां को प्रणाम करती उजमा नजर आईं थी। शादी के झांसे में फंसी दिल्ली की रहने वाली उष्मा को सुषमा की वजह से वतन की मिट्टी नसीब हुई। उजमा अहमद नाम की महिला पहले प्यार के जाल में फंसाकर मलेशिया से पाकिस्तान बुलाई जाती है। उसके बाद ताहिर अली द्वारा उससे जबरन निकाह कर उसे केपीके में गुलाम बनाकर रखा जाता है। बंदूक की नोक पर निकाह, यौन उत्पीड़न और उसके बाद भारतीय उच्चायोग में शरण पूरी कहानी सिलसिलेवार ढंग से आपको बताते हैं।
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पाकिस्तान में उज्मा के साथ क्या हुआ?
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उजमा ने खुद अपनी आपबीती बताते हुए कहा था कि पाकिस्तान में ताहिर ने मुझे धोखे से नींद की गोलियां दी। किडनैप किया और बुनेर ले गया। तीन मई को ताहिर ने बंदूक की नोंक पर निकाहनामे पर साइन करा लिए। शारिरीक और मानसिक शोषण किया। बता दें कि बुनेर पाकिस्तान के कबायली जिले खैबर पख्तूनख्वा का हिस्सा है। यहां बेहद गरीबी है। यहां आज भी तालिबान और जमींदारों का राज चलता है। उजमा समझ गई कि वो यहां बुरी तरह फंस चुकी है। लेकिन उन्होंने बेहद अक्लमंदी से काम लिया।
भारतीय हाई कमिशन में कैसे पहुंची
उजमा के भारतीय उच्चायोग पहुंचने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। उजमा ने ताहिर से कहा कि उन्हें कुछ डॉक्यूमेंट्स लेने के लिए भारत जाना होगा। ताहिर को शक नहीं हुआ क्योंकि उजमा ने उससे कहा था कि वो उसे भी दिल्ली ले जाएगी। ताहिर और उजमा पांच मई को भारतीय उच्चायोग पहुंचे। उजना वीजा खिड़की पर पहुंची। ताहिर बाहर बैठा रहा। उजमा ने वहां पर मौजूद स्टाफ से कहा कि भारतीय हूं, मदद कीजिए। एक पल चुप रहने के बाद स्टाफ ने उसे एंबेसी के अंदर ले लिया। वहां जेपी सिंह (राजनयिक) मौजूद थे। उन्होंने उजमा से पूरी बात पूछी। उजमा के अनुसार मैं एंबेसी केवल एक जोड़ी कपड़ों में गई थी। जेपी सर ने मेरे लिए हर तरह का अरेंजमेंट किया। वहां की महिला स्टाफ ने मुझे ऐसे रखा जैसे में उनके परिवार की ही बेटी हूं।
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कौन हैं जेपी सिंह?
एक अनुभवी राजनयिक ने अपना पूरा करियर उच्च-दांव स्थितियों से निपटने में बिताया था, लेकिन कुछ भी उन्हें आगे आने वाली चुनौती के लिए तैयार नहीं कर सका। उनके जीवन में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब उन्होंने खुद को एक अंतरराष्ट्रीय कस्टडी वॉर के केंद्र में पाया।
सबसे अप्रत्याशित मिशन
जेपी सिंह का मिशन पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली की जटिलताओं से निपटते हुए भारतीय नागरिक उज़मा अहमद की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। स्थिति गंभीर थी, भारत और पाकिस्तान के बीच नाज़ुक रिश्ते पूरे ऑपरेशन को पटरी से उतारने की धमकी दे रहे थे। सिंह द्वारा उठाया गया हर कदम सोच-समझकर उठाया गया था, क्योंकि एक भी गलत कदम कूटनीतिक घटना को जन्म दे सकता था या इससे भी बदतर, उज़मा को फँसा सकता था।
हर रोज उजमा से बात करती थीं सुषमा स्वराज
उजमा के भारत लौटने का श्रेय सुषमा स्वराज ने भारतीय मिशन को दिया। लेकिन उजमा ने अपनी घर वापसी का श्रेय सुषमा स्वराज को दिया। उजमा ने कहा कि सुषमा मैडम, हर रोज और कई बार तो दिन में तीन या चार बार मुझे फोन करती थीं। वो कहती थीं कि बेटा फिक्र मत करो। तुम इस देश की, भारत की बेटी हो। हिम्मत रखना। हम तुम्हें कुछ नहीं होंने देंगे। तुम्हें ताहिर के साथ नहीं जानें देंगे।
पाकिस्तान की इज्जत का सवाल है...
पाकिस्तान में उजमा की मदद भारतीय उच्चायोग के अलावा वहां की न्यायपालिका ने भी की। सुषमा के मुताबिक एक सुनवाई के दौरान ताहिर ने हाईकोर्ट के जस्टिस कयानी से कहा था कि साहब ये पाकिस्तान की इज्जत का सवाल है। इस पर जस्टिस कयानी ने कहा- इसमें हिंदुस्तान और पाकिस्तान कहां आते हैं। ये तो एक लड़की के इंसाफ का मामला है। सुषमा ने जस्टिस कयानी, पाकिस्तान के गृह मंत्री और वकील शाहनवाज की भी तारीफ की।
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