उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने संरक्षित वन भूमि में सड़क निर्माण पर रोक लगाई
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को नैनीताल के पांगोत में संरक्षित वन भूमि पर मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को रोक दिया। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को नैनीताल के पांगोत में संरक्षित वन भूमि पर मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को रोक दिया। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। याचिका में कहा गया है कि यह सड़क अवैध रूप से बनाई जा रही है। अदालत ने इस संबंध में नैनीताल के जिलाधिकारी, प्रभागीय वन अधिकारी, अपर पर्यटन निदेशक पूनम चंद और बिल्डर उपेंद्र जिंदल को नोटिस जारी किए हैं।
अदालत ने क्षेत्र में बुलडोजर का उपयोग भी प्रतिबंधित कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई अगले साल 15 फरवरी 2023 को होगी। यह सडक नैनीताल के पांगोत क्षेत्र में किलबरी में नैना देवी पक्षी संरक्षित क्षेत्र में है। याचिका में कहा गया है कि एक गांव तक पहुंचने के लिए संरक्षित वन भूमि पर पैदल रास्ता बनाने की स्वीकृति दी गयी थी, लेकिन बिल्डर ने कथित तौर पर अपर पर्यटन अधिकारी पूनम चंद की सहायता से 2013 में गांव की जमीन खरीद ली और पांगोत में चार मंजिला होटल बनाने के लिए क्षेत्र में मोटर मार्ग बनाना शुरू कर दिया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पूनम चंद परियोजना को पूरा करने के लिए जिंदल को आधिकारिक सुविधाएं भी मुहैया करा रही हैं।
अन्य न्यूज़