UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में कैसा है राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन का गणित? जानें कौन सा दल किसके साथ
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में कई दल गठबंधन के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने में जुटे हैं वही कई दल ऐसे भी हैं जो अकेले ही चुनावी समर में उतर रहे हैं। बीजेपी ने इस बार के चुनाव में अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी संग समझौता किया है।अखिलेश छोटे दलों पर दांव खेल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी सियासी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। वो कहते हैं न, दिल्ली का रास्ता यूपी से गुजर कर ही जाता है, ऐसे में चाहे वो बीजेपी हो या समाजवादी, बसपा हो या कांग्रेस सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। कई दल गठबंधन के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने में जुटे हैं वही कई दल ऐसे भी हैं जो अकेले ही चुनावी समर में उतर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन का गणित कैसा है? कौन सा दल किसके साथ गठबंधन में है।
बीजेपी और उसके सहयोगी दल
बीजेपी ने इस बार के चुनाव में अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी संग समझौता किया है। इसके अलावा कई छोटे-छोटे दलों ने बीजेपी को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश में अपना दल (सोनेलाल) बीजेपी की पुरानी सहयोगी रही है। जिसका पूर्वांचल और अवध के क्षेत्र में मुख्य आधार माना जाता है। कुर्मी और दलितों में इसका मजबूत जनाधार माना जाता है। अपना दल (एस) की प्रमुख मिर्जापुर से सांसद और मोदी सरकार की मंत्री अनुप्रिया पटेल हैं। साल 2017 के चुनाव में अपना दल (एस) ने यूपी की 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा सूबे में बीजेपी की एक अन्य प्रमुख सहयोगी निषाद पार्टी है। 2019 के चुनाव से निषाद पार्टी बीजेपी के साथ है। संजय निषाद की पार्टी ने साल 2017 के चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़कर महज एक सीट जीतने में कामयाब हुई थी। निषाद या मल्लाह निषाद पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। इनके अलावा बीजेपी ने प्रगतिशील समाज पार्टी, सामाजिक न्याय नव लोक पार्टी, राष्ट्रीय जलवंशी क्रांतिदल, मानव क्रांति पार्टी के साथ भी गठबंधन किया है।
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छोटी पार्टियों संग साइकिल की सवारी
गठबंधन के सहारे अखिलेश इस बार अपनी नौका पार कराने की कोशिश में जुटे हैं, फर्क इतना है कि इस बार वो ना तो कांग्रेस को भाव दे रहे हैं और ना ही बसपा को अपनी साइकिल की सवारी करा रहे हैं, उन्होंने इस बार छोटे दलों पर दांव खेलने का मन बनाया। यूपी के सियासी रण में इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, जनवादी पार्टी, आरएलएडी और अपना दल (कमेरावादी) के साथ समाजवादी पार्टी अपना दम लगाने का प्रयास कर रही है। अखिलेश यादव ने इस बार के विधानसभा चुनाव में इन दलों से गठबंधन किया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से भी गठबंधन के चर्चे थे, लेकिन अखिलेश यादव ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है और चंद्रेशखर के साथ भी आखिरी समय में बात नहीं बन पाई।
ओवैसी की भागीदारी परिवर्तन मोर्चा
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस बार यूपी में पूर्व सीएम बाबू सिंह कुशवाहा और वामन मेश्राम के साथ चुनावी मैदान में हैं। इन्होंने मिलकर भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाने का ऐलान किया है। जिसमें औवैसी की एआईएमआईएम, बाबू सिंह कुशवाहा की जनअधिकारी पार्टी और वामन मेश्राम का भारत मुक्ति मोर्चा जैसे तीनों दल प्रमुख रूप से हैं। इसे एक तरह से मुसलमानों, पिछड़ों और दलितों का गठजोड़ कहा जा सकता है
कांग्रेस और बसपा अकेले मैदान में उतर रही है
उत्तर प्रदेश के दो बड़े राजनीतिक दलों बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है। इन दोनों दलों ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वहीं आम आदमी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी अकेले के दम पर चुनाव मैदान में है।
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