Amit Shah On Internal Security | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा में सीआरपीएफ के योगदान की सराहना की
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि देश में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीत के अंतिम चरण में नजर आ रही है और इसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के सर्वोच्च बलिदान का बहुत बड़ा योगदान है।
जगदलपुर(छत्तीसगढ़)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को 84 वें सीआरपीएफ दिवस के अवसर पर देश की आंतरिक सुरक्षा में सीआरपीएफ के योगदान और सुरक्षित रूप से जिम्मेदारी निभाने के लिए सराहना की। 84वें सीआरपीएफ दिवस के मौके पर अपने संबोधन के दौरान शाह ने कहा, 'पहली बार किसी नक्सली इलाके में सीआरपीएफ दिवस मनाया जा रहा है। सीआरपीएफ ने देश की आंतरिक सुरक्षा में योगदान दिया है। राष्ट्र महिला सीआरपीएफ कर्मियों को सलाम करता है। सीआरपीएफ का योगदान है.' महत्वपूर्ण। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ ने देश में पिछले चुनावों के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और देश के कई इलाकों में उन्हें ढेर किया है। उन्होंने आगे कहा, "लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है जब इसे विश्वसनीय तरीके से संरक्षित किया जाए। अन्य सीएपीएफ के साथ-साथ देश में शांतिपूर्ण चुनाव कराने में सीआरपीएफ का योगदान आवश्यक है।" उन्होंने कहा, "पिछले कई चुनावों में सीआरपीएफ कर्मियों ने हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुरक्षित रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी निभाई है।"
शाह ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में सीआरपीएफ जवानों को श्रद्धांजलि दी। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, जिसके लिए भाजपा ने आगामी चुनावों के प्रचार के लिए गति पकड़ ली है। छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान में शामिल सुरक्षा बलों को शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली, सुकमा क्षेत्र में दो महिलाओं समेत 16 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि देश में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीत के अंतिम चरण में नजर आ रही है और इसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के सर्वोच्च बलिदान का बहुत बड़ा योगदान है। सीआरपीएफ के 84वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने बल से अनुरोध किया कि जब तक इस खतरे का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता वे वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई बहादुरी से जारी रखें। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सीआरपीएफ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने का श्रेय सीआरपीएफ कर्मियों को जाता है।
शाह ने कहा, सीआरपीएफ ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी और सभी मोर्चों पर सफलता हासिल की। बल ने स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर संगठनात्मक कौशल का भी उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि 2010 की तुलना में देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं में 76 फीसदी की कमी आई है और साथ ही जान हानि (आम लोग और सुरक्षा कर्मी) में भी 78 फीसदी की कमी आई है।
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राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों एजेंसियां वामपंथी उग्रवाद का वित्त पोषण रोकने के लिए सख्ती से काम कर रही हैं। शाह ने कहा कि सीआरपीएफ का वार्षिक उत्सव पहली बार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है और यह भी छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में। बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित सीआरपीएफ कोबरा की 201वीं बटालियन के करनपुर शिविर में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। पिछले तीन दशकों से वामपंथी उग्रवाद से संघर्ष कर रहे बस्तर संभाग में कुल सात जिले शामिल हैं जिनमें बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर हैं। सीआरपीएफ के जवानों को बड़ी संख्या में दक्षिण बस्तर क्षेत्र में तैनात किया गया है, जिसमें सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले शामिल हैं। यहां सीआरपीएफ के नेतृत्व में सुरक्षा कर्मियों ने कई बड़े माओवादी हमलों में जवाबी कार्रवाई की है।
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