हादसे में मारे गए मजदूरों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक मदद देगी महाराष्ट्र सरकार
एक अधिकारी ने बताया जालना से पैदल भुसावल जा रहे मजदूर मध्य प्रदेश के अपने गांवों की ओर लौट रहे थे और थक कर पटरियों पर सो गए थे। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की।
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद में ट्रेन हादसे का शिकार हुए श्रमिकों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए प्रत्येक पीड़ित परिवार को पांच-पांच लाख रुपये की मुआवजा देने की शुक्रवार को घोषणा की। मध्य प्रदेश के कम से कम 14 श्रमिकों की मौत महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के करमाड रेलवे स्टेशन के निकट हो गई। ये श्रमिक रेल पटरी पर सो रहे थे और एक मालवाहक ट्रेन की चपेट में आ गए। इस दुर्घटना में दो अन्य श्रमिक घायल हैं। एक अधिकारी ने बताया जालना से पैदल भुसावल जा रहे मजदूर मध्य प्रदेश के अपने गांवों की ओर लौट रहे थे और थक कर पटरियों पर सो गए थे। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
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ठाकरे ने कहा कि वह श्रमिकों को ले जाने के लिए ज्यादा ट्रेन चलाने के संबंध में केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में हैं। देशव्यापी बंद की वजह से बड़ी संख्या में मजदूर देश के कई हिस्सों में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में जल्द ही व्यवस्था की जाएगी। श्रमिकों को धैर्य नहीं खोना चाहिए।’’ इस घटना की जानकारी मिलने के बाद ठाकरे ने मुख्य सचिव अजय मेहता और रेल अधिकारियों से विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए बातचीत की। ये श्रमिक जालना के एक स्टील उत्पादन संयंत्र में काम करते थे। जालना मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के पड़ोस में है। ठाकरे ने श्रमिकों से अपील की है कि वे अपनी जान खतरे में नहीं डालें और आश्रय शिविरों में ही रहें। उनकी यात्रा को ले कर व्यवस्था की जा रही है।
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उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकार लगातार रेल मंत्रालय के संपर्क में है। एक ट्रेन जल्द ही मुंबई से रवाना होगी। मैं श्रमिकों से अपील करता हूं कि वे अपनी जान खतरे में न डालें।’’ ठाकर ने श्रमिकों से अपील की है कि जब तक उन्हें ट्रेन की समय-सारिणी के बारे में सूचना न दे दी जाए तब तक वे शिविरों से बाहर न निकलें। इन शिविरों में खाना और दवाओं की व्यवस्था है।
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