देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढावा देना होगा- डॉ. हर्षवर्धन
दिनेश शुक्ल । Mar 13 2021 11:31PM
डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर, एम्प्री, भोपाल की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान ने औद्यौगिक अवशिष्ट को कच्चे माल के रूप में उपयोग करके रेडिएशन से बचाव की सामाग्री विकसित करके बता दिया है कि वह अवशिष्ट से सम्पदा बनाने की रणनीति को सफलतापूर्वक अपनाए हुए हैं
भोपाल। विज्ञान और तकनीक में हमारी समस्याओं को आसान बनाने के साथ विकास के नये आयामों को छूने की अदभुत क्षमता है। प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के स्वप्न को साकार करने में विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को ज्ञान और प्रौद्यौगिकी के विकास के लिए नवाचार को बढावा देना होगा। इससे देश को आत्मनिर्भर बनाने की राह आसान होगी। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रोद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज भोपाल में प्रगत पदार्थ प्रक्रम तथा अनुसंधान संस्थान (एम्प्री) में सेंटर फॉर एडवांस रेडिएशन शिल्डिंग ऑफ जियोपॉलीमेरिक मेटेरियल के नये भवन के लोकार्पण के अवसर पर कहीं।
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डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वर्ष 2020 भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के आपदा को अवसर में बदल लेने की क्षमता के दोहन और प्रदर्शन का गवाह रहा हैं। दुनिया ने देखा कि चिकित्सा और विज्ञान जगत से जुड़े भारत के फ्रंटलाइन वॉरियर्स ने कोविड की टेस्टिंग से लेकर इसके उपचार और टीकाकरण के लिए वैक्सीन के निर्माण तक के बारे में उल्लेखनीय और सराहनीय प्रदर्शन किये हैं। उन्होंने आह्वान किया कि कोविड के नियंत्रण में सहयोग देने के लिए हम कतई ढिलाई न बरतें और मास्क, सैनेटाइजर का प्रयोग करें और समाजिक दूरी बनाए रखने के साथ बार-बार हाथों को भी धोतें रहें।
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डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर, एम्प्री, भोपाल की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान ने औद्यौगिक अवशिष्ट को कच्चे माल के रूप में उपयोग करके रेडिएशन से बचाव की सामाग्री विकसित करके बता दिया है कि वह अवशिष्ट से सम्पदा बनाने की रणनीति को सफलतापूर्वक अपनाए हुए हैं, इसी तरह लाल मिट्टी और फ्लाईएश जैसे औद्यौगिक अवशिष्टों के इस्तेमाल से शिल्डिंग मेटेरियल के निर्माण की नवीन प्रक्रिया का विकास भी किया गया है। डॉ. हर्षवर्धन ने उल्लेख किया कि एम्प्री वैज्ञानिक जैव सामाग्री, ग्रेफिन स्मार्ट मेटेरियल, हल्के वजन की सामाग्री और नैनों सामाग्री के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा हैं। उन्होंने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मध्य प्रदेश सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि विकास के लिए विज्ञान को बढ़ावा देने की प्रदेश सरकार की कोशिशें आगे चलकर विकास को गति प्रदान करेगीं। डॉ. हर्षवर्धन ने इस अवसर पर विज्ञान को बढावा देने के लिए सीएसआईआर, मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्यौगिकी परिषद, विज्ञान और प्रौद्यौगिकी विभाग, मध्य प्रदेश, सूक्ष्म लघु और मध्यम उपक्रम विभाग, मध्य प्रदेश तथा विज्ञान भारती के बीच एमओयू होने को एक सार्थक पहल बताया।
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केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-एम्प्री में एनालिटिकल हाई रेज्योलूशन ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप लेबोरेटरी का उद्धाटन किया, उन्होंने यहां बांस यौगिक संरचना की आधारशिला भी रखी। सीएसआईआर-एम्प्री ने पर्यावरण हितैषी बांस यौगिक सामाग्री की तकनीक का विकास किया है जो कि आधुनिक आवास और कच्ची सामाग्री के रूप में उपलब्ध बांस का प्रचुर मात्रा में प्रयोग से तैयार होने वाली संरचना में उपयोगी हैं। इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने फ्लाईएश कम्पेडियम भी जारी किया। कार्यक्रम में उपस्थित मध्यप्रदेश के विज्ञान और तकनीकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने इस मौके पर कहा कि विज्ञान और तकनीक को छोटे उद्योगों तक पहुँचाकर रोजगार और विकास को बढावा दिया जाना समय की मांग हैं।
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