PFI के तीन सदस्यों को मिली बेल, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली HC ने सुनाया फैसला
अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकीलों ने सही कहा है कि वर्तमान मामले में, धन का संग्रह अपराध से पहले होता है, यानी दिल्ली दंगे। अपराध की आय आपराधिक गतिविधि (अनुसूचित अपराध) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है ) भविष्य में किसी अनुसूचित अपराध को अंजाम देने के लिए अवैध तरीके से धन एकत्र करना पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट अवैध गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करने से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की दिल्ली इकाई के तीन सदस्यों को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने प्रथम दृष्टया यह देखते हुए परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत को राहत दी कि उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध नहीं बनता है।
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अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकीलों ने सही कहा है कि वर्तमान मामले में, धन का संग्रह अपराध से पहले होता है, यानी दिल्ली दंगे। अपराध की आय आपराधिक गतिविधि (अनुसूचित अपराध) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है ) भविष्य में किसी अनुसूचित अपराध को अंजाम देने के लिए अवैध तरीके से धन एकत्र करना पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं है।
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अदालत ने कहा कि धारा 45 की दो शर्तें पूरी हो गई हैं। ईडी के विशेष वकील को जमानत आवेदनों का विरोध करने का अवसर दिया गया है। प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धन शोधन का अपराध नहीं बनता है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2022 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत पीएफआई और उसके सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद यह मामला दर्ज किया था।
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