करोड़ों मुस्लिमों को हैरान कर देगा ये फैसला, इस राज्य ने किया ऐसा देखते रह गए सभी
सरमा ने साफ संदेश दिया था कि नए भारत में लोगों को स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की आवश्यकता है न कि मदरसों की, हम मुस्सिम बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं।
भारत के एक राज्य में ऐसा कदम उठाया गया है जो कई मुस्लिमों को चुभेगा वहीं कई लोगों को पसंद भी आएगा। हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने राज्य में सरकारी मदद से चलाए जा रहे एक हजार से ज्यादा मदरसों को बंद करके उनकी जगह इंग्लिश स्कूल खोल दिए हैं। इसके लिए सरकारी आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। अब इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा की जगह सामान्य शिक्षा की पढ़ाई कराई जाएगी। असम सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 31 जिलों में कम से कम 1 हजार 281 मदरसों का नाम बदल दिया। इन मदरसों को अब मीडिल इंग्लिश स्कूल बोला जाएगा। हिमंत बिस्वा सरमा पहले ही बोल चुके हैं कि वो राज्य में सभी मदरसों को बंद करना चाहते हैं।
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सरमा ने साफ संदेश दिया था कि नए भारत में लोगों को स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की आवश्यकता है न कि मदरसों की, हम मुस्सिम बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं। इसी तरह, दिसंबर 2020 में, असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण और मदरसा शैक्षणिक संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम, 2018 को निरस्त कर दिया गया था।
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मदरसों की आड़ में मुस्लिम लड़के-लड़कियों को पढ़ाई के नाम पर मजहबी कट्टरता फैलता हैं। मदरसे की आड़ में किस तरह आतंक की फैक्ट्रियां चलाई जाती हैं। उसका सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान है। पाकिस्तान में तालिबान के बड़े बड़े लड़ाके मदरसों में ही तैयार हुए थे। पाकिस्तान के मदरसों में आतंक की तालिम दी गई। आज इसकी कीमत पाकिस्तान चुका रहा है। भारत में भी कई मदरसे ऐसे मिले थे जिनका हाल पाकिस्तान जैसा ही था।
मजहबी नाम पर
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