विविधता में एकता एक वादा है, जिसे किसी शाह या सुल्तान को तोड़ना नहीं चाहिए: कमल हासन

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[email protected] । Sep 16 2019 4:22PM

शाह के इस बयान पर द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया सहित कई विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं। हासन ने वीडियो में कहा कि भारत विभिन्न व्यंजनों से भरी शानदार थाली के समान है। हमें इसका मिलकर लुत्फ उठाना चाहिये और किसी एक व्यंजन (हिंदी) को थोपने से इसका जायका बिगड़ जाएगा। कृपया ऐसा नहीं करें।

चेन्नई। मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक व दिग्ग्ज अभिनेता कमल हासन ने हिंदी को ‘‘थोपने’’ के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि यह दशकों पहले देश से किया गया एक वादा था, जिसे ‘‘किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए।’’उन्होंने एक वीडियो में कहा, ‘‘विविधता में एकता का एक वादा है जिसे हमने तब किया था जब हमने भारत को एक गणतंत्र बनाया था। अब, उस वादे को किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी।’’  ‘‘शाह या सुल्तान या सम्राट’’ टिप्पणी में स्पष्ट रूप से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर इशारा किया गया है। गौरतलब है कि शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।

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शाह के इस बयान पर द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया सहित कई विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं। हासन ने वीडियो में कहा कि भारत विभिन्न व्यंजनों से भरी शानदार थाली के समान है। हमें इसका मिलकर लुत्फ उठाना चाहिये और किसी एक व्यंजन (हिंदी) को थोपने से इसका जायका बिगड़ जाएगा। कृपया ऐसा नहीं करें। हासन ने यहां 2017 के जल्लीकट्टू के समर्थन में हुए प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह सिर्फ एक विरोध था, हमारी भाषा की लड़ाई इससे कहीं ज्यादा बड़ी होगी।’’ उन्होंने कहा कि भारत या तमिलनाडु को इस तरह की लड़ाई की कोई जरूरत नहीं है। देश के राष्ट्रगान का जिक्र करते हुए, हासन ने कहा कि यह एक ऐसी भाषा (बंगाली) में लिखा गया था जो अधिकांश नागरिकों की मातृभाषा नहीं है।अधिकांश देशवासी खुशी के साथ बंगाली में अपने राष्ट्रगान को गाते हैं और वे ऐसा करते रहेंगे।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘इसका कारण कवि (रवींद्रनाथ टैगोर) हैं जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा था, जिसमें उन्होंने सभी भाषाओं और संस्कृति को उचित सम्मान दिया और इसलिए, यह हमारा राष्ट्रगान बन गया।’’ उन्होंने कहा कि समावेशी भारत को एक अलग तरह का देश बनाने की कोई कोशिश नहीं की जानी चाहिए क्योंकि ‘‘इस तरह की अदूरदर्शिता की वजह से सभी को नुकसान होगा।’’

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