जीते जी जवान अपने गांव में पक्की सड़क नहीं देख सका, लेकिन शहादत के बाद पक्की सड़क जरूर मिलेगी

Pucca road in sehore
सुयश भट्ट । Dec 10 2021 12:50PM

ग्रामीणों के मुताबिक ठीक एक महीने पहले 9 नवंबर को जितेंद्र कुमार छुट्टी खत्म होने के बाद घर से वापस ड्यूटी के लिए लौटे थे। साफ है की जितेंद्र को जीते जी उस खराब सड़क से चलकर जाना पड़ा था। लेकिन आज भोपाल- इंदौर हाईवे से दो किलोमीटर अंदर धामंदा गांव में उनका पार्थिव शरीर समतल सड़क से होकर आएगा।

भोपाल। तमिलनाडु के कुन्नूर जिले में बुधवार को हुए  हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देश ने अपने कई योद्धाओं को खो दिया। CDS जनरल बिपिन रावत के साथ इस हादसे में मध्य प्रदेश के सीहोर के रहने वाले जितेंद्र की भी मौत हुई। हालांकि जितेंद्र जीते जी अपने गांव में पक्की सड़क तो नहीं देख पाए, लेकिन उन्हें श्रद्धांजलि देने आ रहे नेताओं को परेशानी न हो इसके लिए प्रशासन ने सड़कें बनवानी शुरू कर दी है।

दरअसल बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले 13 लोगों में एक जवान सीहोर के थे। गुरुवार को सीहोर के धामंदा गांव में जितेंद्र कुमार के घर पत्रकारों का जमावड़ा लगा रहा। यहां जब घरवालों से बात करके जब पत्रकार वहां से निकल रहे थे तब उन्होंने देखा कि अचानक गांव की सड़कों का समतलीकरण शुरू हो गया है।

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जिसके बाद पत्रकारों ने इस संबंध में ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि इससे पहले कभी सड़क का काम नहीं हुआ है। सड़क की न ही कोई टेंडर पास हुई है न ठेका अलॉट हुआ। जितेंद्र कुमार के शहीद होने के कारण प्रशासनिक अधिकारी जल्दीबाजी में सड़क मरम्मत करने में जुट गए हैं। आज इसी सड़क से शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके घर ले जाया जाएगा। जितेंद्र को श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी आने की संभावना है इसीलिए सड़क को ठीक किया गया है। 

आपको बता दें कि सीहोर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है। ऐसे में यदि वे यहां पहुंचते हैं और उबड़-खाबड़ रास्ते के चलते उन्हें दिक्कत होती तो इसकी गाज अधिकारियों पर गिरती। इसी दबाव के कारण शहीद के गांव में फटाफट सड़क समतलीकरण शुरू हो गया।

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ग्रामीणों के मुताबिक ठीक एक महीने पहले 9 नवंबर को जितेंद्र कुमार छुट्टी खत्म होने के बाद घर से वापस ड्यूटी के लिए लौटे थे। साफ है की जितेंद्र को जीते जी उस खराब सड़क से चलकर जाना पड़ा था। लेकिन आज भोपाल- इंदौर हाईवे से दो किलोमीटर अंदर धामंदा गांव में उनका पार्थिव शरीर समतल सड़क से होकर आएगा। 

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