दो विधेयकों पर सत्ता पक्ष-विपक्ष में नहीं बन पायी सहमति, राज्य सभा पूरे दिन के लिए स्थगित

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[email protected] । Mar 11 2020 4:59PM

इस पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इन विधेयकों का जिक्र सदन की दोपहर बाद जारी संशोधित कार्यसूची में किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर ये विधेयक इतने जरूरी थे तो सरकार ने इन्हें मूल कार्यसूची में शामिल क्यों नहीं किया।

नयी दिल्ली। राज्यसभा में खनन एवं दिवाला कानून से संबंधित दो अध्यादेशों से जुड़े विधेयकों को बुधवार को ही पारित कराने के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण उच्च सदन की बैठक चार बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को कोरोना वायरस से प्रभावित देश ईरान से भारतीय नागरिकों की वापसी के प्रयासों पर अपना बयान देने को कहा। जयशंकर के बयान पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर सुझाव दिये और उनसे स्पष्टीकरण पूछे। मंत्री द्वारा उनका जवाब दिए देने के बाद जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश संशोधन विधेयक 2019 पेश किया। इसके बाद उन्होंने दो अध्यादेशों से संबंधित विधेयकों को पारित कराने की बाध्यता बताते हुये सदन से इन पर चर्चा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों पर 13 मार्च तक राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है, इसलिए बुधवार को ही इन्हें पारित नहीं किए कराए जाने पर प्रशासनिक संकट पैदा हो जाएगा। 

इस पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इन विधेयकों का जिक्र सदन की दोपहर बाद जारी संशोधित कार्यसूची में किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर ये विधेयक इतने जरूरी थे तो सरकार ने इन्हें मूल कार्यसूची में शामिल क्यों नहीं किया। इस पर आजाद ने सुझाव दिया कि विपक्ष इन विधेयकों को पारित कराने की अनिवार्य स्थिति से अवगत है। उन्होंने कहा कि इन पर सभी दलों के नेता अपने विचार प्रस्तुत करना चाहते हैं और विधेयक की प्रतियां सदस्यों को दोपहर बाद मिली हैं, इसलिए वे इसका अध्ययन नहीं कर पाये हैं। आजाद ने सुझाव दिया कि दोनों विधेयकों पर गुरुवार को सुबह बैठक शुरू होने पर चर्चा की जाए और भोजनावकाश तक इन्हें पारित कराने के बाद दिल्ली हिंसा पर पूर्व निर्धारित चर्चा शुरू करायी जाए।  उल्लेखनीय है कि दोनों विधेयकों में खनिज विधि संशोधन विधेयक 2020 और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता दूसरा संशोधन विधेयक शामिल है। संशोधित कार्यसूची में इन विधेयकों को शामिल करने के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस विषय पर विभाग संबंधित संसद की स्थायी समिति द्वारा विचार किए जाने के बाद इन्हें विलंब से पेश किया जा सका। 

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संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी दलील दी कि ये विधेयक गत सप्ताह शुक्रवार को लोकसभा में पारित हुए। लेकिन उससे पहले ही राज्यसभा की बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी थी, इसलिए राज्यसभा की नियमित कार्यसूची में इन्हें शामिल नहीं किया जा सका। विपक्ष के सदस्य दोनों विधेयकों को बुधवार को ही पारित कराने के लिए सरकार के अनुरोध पर सहमत नहीं हुए। इस मुद्दे पर गतिरोध के कारण उपसभापति ने सदन की बैठक को तीन बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। दो बार के स्थगन के बाद तीन बजकर 10 मिनट पर उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही पीठासीन उपसभापति कहकशां परवीन ने कार्यवाही 15-15 मिनट के दो बार स्थगित कर दी। चार बार के स्थगन के बाद तीन बजकर 40 मिनट पर बैठक शुरू होने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सहमति बनी है कि कुल सुबह 11 बजे दोनों अध्यादेशों से जुड़े विधेयकों पर चर्चा होगी। इसके पूरे होने के बाद दिल्ली की स्थिति पर चर्चा की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी इससे सहमति जतायी और कहा कि सुबह दोनों विधेयकों पर चर्चा होगी और दिल्ली की स्थिति पर भोजनावकाश के बाद चर्चा होगी। उन्होंने उपसभापति हरिवंश से अनुरोध किया कि उस समय तक सदन की बैठक स्थगित कर दी जाए।उपसभापति हरिवंश ने सदन की भावना को देखते हुए बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

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