Maha Kumbh की असल तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल चीजें नहीं बल्कि कल्पवासी और साधु-संतों के अखाड़े तथा शिविर हैं

असली महाकुंभ का यही असली अमृत है, जो लगातार बरस रहा है। छकने वाले इसे पूरे मन से छक भी रहे हैं। वायरल होना तो वायरल बुखार की तरह है, जो कुछ दिनों में उतर जाएगा और लगभग उतर भी चुका है।
महाकुंभ में क्या चल रहा है यह हर कोई जानना चाहता है। कोई वायरल हो रहे लोगों को प्रयागराज आकर खोज रहा है या इंटरनेट पर सर्च कर रहा है तो कोई साधु संतों का आशीर्वाद लेने प्रयागराज पहुँच रहा है। देखा जाये तो सोशल मीडिया पर वायरल हुए चंद लोगों से इतर का महाकुंभ ही असली और स्थाई है। वहीं पर अनादि काल से चली आ रही अपनी परंपरा भी है। इस असली वाले महाकुंभ में वे 10 लाख कल्पवासी हैं जो हर रोज तड़के स्नान करने के बाद पूरा समय जप और सत्संग में बिताते हैं। इसमें साधु-संतों के वे अखाड़े या शिविर हैं जिनमें धर्म, अध्यात्म, योग आदि विषयों पर लगातार प्रवचन चल रहा है। उनमें हो रहे मंत्रोच्चार की मधुर धुन से ऊर्जा मिल रही है। जो अनवरत लोगों के लिए लंगर चला रहे हैं। असली महाकुंभ का यही असली अमृत है, जो लगातार बरस रहा है। छकने वाले इसे पूरे मन से छक भी रहे हैं। वायरल होना तो वायरल बुखार की तरह है, जो कुछ दिनों में उतर जाएगा और लगभग उतर भी चुका है।
हम आपको बता दें कि संगम में पुण्य की डुबकी के बाद संतों के सान्निध्य में किए गए सत्संग का असर तो स्थाई होगा। रामचरितमानस में तुलसीदास ने भी कई जगहों पर सत्संग की महिमा और महत्ता का वर्णन किया है। एक जगह वह कहते हैं, "बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई"। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए एक अन्य जगह पर वह कहते हैं, "सतसंगत मुद मंगल मूला। सोई फल सिधि सब साधन फूला"। आगे वह इसकी महत्ता बताते हुए कहते हैं, सत्संग से व्यक्ति में विवेक आता है। यह विवेक मोह और भ्रम को दूर करता है। इनके दूर होने से भगवान के प्रति अनुराग बढ़ जाता है। (होइ बिबेकु मोह भ्रम भागा। तब रघुनाथ चरन अनुरागा)। इस लिहाज से महाकुंभ व्यक्ति में विवेक जगाने का महापर्व भी है। खास बात ये है कि अमृतपान का ये सुअवसर सबके लिए और समान रूप से है। आप जितना चाहें, जब तक चाहें इसका लाभ उठा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: Mahakumbh 2025: प्रयागराज में वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध हटा, 'बसंत पंचमी' के लिए डायवर्जन लागू
देखा जाये तो एक संन्यासी योगी आदित्यनाथ, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, ने जनकेंद्रित राजधर्म से चीजों को और व्यवस्थित एवं सुंदर बनाने का हर संभव प्रयास किया है। उसी का नतीजा है कि देर रात अगर ऊपर से महाकुंभ नगर को देखें तो लगता है, मां गंगा के सफेद रेती के कैनवास पर किसी ने रंग-बिरंगे टेंट और जगमग रौशनी, नावों और गंगा-जमुना के अविरल जल का बतौर पेंट प्रयोग कर बेहद खूबसूरती से एक बेहद उम्दा पेंटिंग उकेर दी हो।
बहरहाल, महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की घटना को लेकर क्या आपका मन भी चिंतित हो गया है? क्या आपके मन में भी यही सवाल उठ रहा है कि महाकुंभ में जाना सुरक्षित होगा या नहीं? क्या आपके मन में भी सवाल उठ रहा है कि प्रयागराज में कोई अव्यवस्था होने से आपको या आपके परिजन को कोई असुविधा तो नहीं हो जायेगी? क्या आपके मन में भी सवाल उठ रहा है कि वहां अब कैसे हालात हैं? तो आपको बता दें कि प्रयागराज में विभिन्न राज्यों से आ रहे श्रद्धालुओं ने व्यवस्थाओं की तारीफ करते हुए कहा है कि हर किसी को यहां आना ही चाहिए।
इसके अलावा, हम आपको यह भी बता दें कि किन्नर अखाड़े में फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाये जाने पर विवाद भी हो गया है। इस तरह की खबर आई कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाये जाने से नाराज अखाड़ा परिषद ने किन्नर अखाड़े के प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममत कुलकर्णी को पद से हटा दिया है। लेकिन अब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि हम लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ हैं और उनके फैसले का समर्थन करते हैं।
अन्य न्यूज़