सभी महिलाओं के लिए है सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला, गुजारा भत्ता लेने वाले निर्णय पर पति की ओर से पेश वकील बोले
एक तलाकशुदा महिला द्वारा पोषणीय या वह विशेष अधिनियम की धारा 3 के तहत आवेदन दायर करने की हकदार है...लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे आगे बढ़कर कहा है कि इस मुद्दे के अलावा, महिला यदि वह एक गृहिणी है और उसके पास कोई स्रोत नहीं है आय - संयुक्त खाता बनाए रखने का अधिकार है, इसलिए यह एक ऐतिहासिक निर्णय है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं। इस मामले में पति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस वसीम ए कादरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुद्दा उठाया गया था कि क्या सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन लागू किया जा सकता है। एक तलाकशुदा महिला द्वारा पोषणीय या वह विशेष अधिनियम की धारा 3 के तहत आवेदन दायर करने की हकदार है...लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे आगे बढ़कर कहा है कि इस मुद्दे के अलावा, महिला यदि वह एक गृहिणी है और उसके पास कोई स्रोत नहीं है आय - संयुक्त खाता बनाए रखने का अधिकार है, इसलिए यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह केवल तलाकशुदा महिला या मुस्लिम महिला पर लागू नहीं होता है सभी महिलाओं के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक मुस्लिम महिला आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-125 के तहत अपने शौहर से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सीआरपीसी का यह “धर्मनिरपेक्ष और धर्म तटस्थ” प्रावधान सभी शादीशुदा महिलाओं पर लागू होता है, फिर चाहे वे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखती हों। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 को धर्मनिरपेक्ष कानून पर तरजीह नहीं मिलेगी।
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राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने मुस्लिम महिलाओं के लिये गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार की पुष्टि करने वाले उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता एवं न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। शीर्ष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि एक मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है, जो सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो।
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