भारतीय न्याय संहिता को बिना व्यापक चर्चा के लागू किया गया : Amartya Sen

Amartya Sen
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शांति निकेतन में पत्रकारों से बातचीत में सेन ने कहा कि नए कानून बनाने से पहले व्यापक चर्चा की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘‘इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इसे लागू करने से पहले सभी हितधारकों के साथ कोई व्यापक चर्चा की गई।

शांति निकेतन। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू करने को ‘‘स्वागत योग्य बदलाव’’ नहीं मानते, क्योंकि इसे व्यापक चर्चा किए बिना लाया गया। शांति निकेतन में पत्रकारों से बातचीत में सेन ने कहा कि नए कानून बनाने से पहले व्यापक चर्चा की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘‘इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इसे लागू करने से पहले सभी हितधारकों के साथ कोई व्यापक चर्चा की गई। 

साथ ही, इस विशाल देश में मणिपुर जैसे राज्य और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों की समस्याएं एक जैसी नहीं हो सकतीं।’’ सेन ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों से चर्चा किए बिना बहुमत की मदद से इस तरह का बदलाव लाने के किसी भी कदम को वह स्वागत योग्य कदम नहीं कह सकते। सेन से लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में भी पूछा गया।

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव के नतीजे दर्शाते हैं कि इस तरह की (हिंदुत्व) राजनीति को कुछ हद तक विफल कर दिया गया है।’’ अर्थशास्त्री ने कहा कि देश में बेरोजगारी के पीछे मुख्य कारण शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की उपेक्षा है। सेन ने कहा कि उन्हें नयी शिक्षा नीति, 2020 में कुछ भी खास नहीं लगा। उन्होंने कहा, ‘‘नयी शिक्षा नीति में कुछ भी नया नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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