रणनीतिक अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए भारत सरकार के पूरे तंत्र को साथ आना होगा : सेना प्रमुख

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सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का कहना है कि देश के सामने मौजूद ‘‘रणनीतिक अनिश्चितताओं’’ और महामारी जैसे गैर-परंपरागत खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार का पूरा तंत्र साथ मिलकर काम करे।

नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का कहना है कि देश के सामने मौजूद ‘‘रणनीतिक अनिश्चितताओं’’ और महामारी जैसे गैर-परंपरागत खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार का पूरा तंत्र साथ मिलकर काम करे। भारत के पड़ोस में विद्यमान जटिल भौगोलिक-राजनीतिक सत्ता के संदर्भ में जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना क्षेत्र को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराने वाले देश के रूप में भारत की छवि को ‘‘पुख्ता’’ करना चाहती है। सेना प्रमुख ने पीटीआई-से बातचीत में कहा, ‘‘रणनीतिक अनिश्चितताओं का पूरा का पूरा पुलिंदा हमारे सामने मौजूद हैं और समय की मांग है कि उन्हें दूर करने के लिए भारत सरकार का पूरा तंत्र साथ आए।’’

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जनरल नरवणे ने हालांकि, इस पर विस्तार से कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब पाकिस्तान समर्थित तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में अपनी भूमिका तय करने और चीन लगातार श्रीलंका, नेपाल, म्यामां और मालदीव जैसे देशों के साथ सैन्य संबंधों का विस्तार करने की कोशिश में जुटा हुआ है। जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘वैश्विक प्रकृति के मुद्दों से निपटते समय सशस्त्र बल अपनी अंतर्निहित क्षमताओं से क्षेत्र को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराने वाले देश के रूप में भारत की छवि को ‘‘पुख्ता’’ करेंगे।’’ ऐसा माना जा रहा है कि युद्ध से जर्जर देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के संबंध में तालिबान के साथ अमेरिका के ऐतिहासिक समझौते के बाद अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति को लेकर भारत चिंतित है।

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सेना प्रमुख ने कहा कि भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के अपने दृष्टिकोण को और विस्तार देना होगा और उसे गैर-परंपरागत खतरों जैसे महामारी आदि पर भी नजर रखनी होगी क्योंकि उनमें देश को गंभीर नुकसान पहुंचाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसी आधार पर स्वयं को तैयार करना और काम करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि भारत के समक्ष उपस्थित ‘‘परंपरागत खतरे ज्यों के त्यों बने हुए हैं’’ और सेना उनसे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। जनरल नरवणे ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चीन से जुड़ी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी/सुरक्षा करते हुए भारतीय सेना के रूख में कोई नरमी नहीं आयी है। एलएसी दोनों देशों के बीच फिलहाल सीमा का काम करती है। उन्होंने कहा, ‘‘एलएसी पर पहले की तरह ही गश्त जारी है, लेकिन हमने सीमा सुरक्षा बलों की शिष्टाचार भेंट को जरुर टाल दिया है।

हॉटलाइन पर भी काफी निर्भरता है।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई दो अनौपचारिक भेंटों के बाद दोनों सरकारों की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक बात चीन से सटी सीमा पर सैनिकों की तैनाती की है, हमारा ध्यान परस्पर समझ और एलएसी का सम्मान करने पर है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि एलएसी को लेकर हमारे अलग-अलग रुखों के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं हो।’’ जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सभी गलतफहमियां मौजूदा कार्यप्रणाली के तहत आपसी बातचीत से दूर कर ली जाएं।’

सुदूर और ऊंचाई वाली जगहों पर तैनात सैनिकों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे के संबंध में बात करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि सुदूर और ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर तैनात सैनिकों के संक्रमित होने का खतरा बहुत कम है क्योंकि उन जगहों पर सामान्य लोगों की आवाजाही लगभग ना के बराबर है। उन्होंने यह भी बताया कि जिन सैनिकों के पूरी तरह से कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त होने की पुष्टि हो रही है, उन्हीं को महत्वपूर्ण जगहों पर तैनाती के लिए भेजा जा रहा है। जनरल ने कहा, ‘‘आपको यह समझना होगा कि इनमें से ज्यादातर जगहों पर तैनाती की प्रकृति और रहने की व्यवस्था के कारण सामाजिक दूरी के नियमों का पालन संभव नहीं है। लेकिन, जहां तक संभव है, सामाजिक दूरी और स्वच्छता के नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

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