यूपी में बिजली कंपनियों के मनमानी पर लगेगी लगाम
कोयला संकट का सीधा असर विद्युत उत्पादन पर पड़ रहा है। यूपी में तकरीबन 4,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन घटा है। विद्युत संकट कम करनेे के लिए पावर कॉरपोरेशन को एनर्जी एक्सचेंज से करोड़ों रूपये की बिजली खरीदनी पड़ी है।
कोयले की कमी के बीच इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की बिजली दरों का यूपी ने विरोध शुरू गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मिलकर एक्सचेंज की दरों पर सीलिंग लगाने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का आरोप है कि बीते तीन दिन में ही एक्सचेंज ने यूपी से 80 करोड़ का, जबकि देशभर से 840 करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया है।
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कोयला संकट का सीधा असर विद्युत उत्पादन पर पड़ रहा है। यूपी में तकरीबन 4,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन घटा है। विद्युत संकट कम करनेे के लिए पावर कॉरपोरेशन को एनर्जी एक्सचेंज से करोड़ों रूपये की बिजली खरीदनी पड़ी है। इन एक्सचेंज सात से 20 रूपये/यूनिट तक की दर से बिजली बेच रह हैं, जबकि बिजली की वास्तविक लागत 6 रूपये/ यूनिट से भी कम है। उपभोक्ता परिषद् ने ऊर्जा मंत्री को एक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें एक्सचेंजों की बिजली का अधिकतम मूल्य तय करने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के पास भेज दिया गया है। परिषद् के मुताबिक, केेंद्र का कानून है कि कोई भी बिजली की ट्रेडिंग करने वाला अधिकतम 4 पैसा प्रति यूनिट से ज्यादा नहीं कमा सकता है।
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एलर्जी एक्सचेंज के शेयरों में 143 रूपये का उछाल आया है। यह उछाल लगभग 23 प्रतिशत का है। वहीं, एनर्जी एक्सचेंज पर बिजली बेच रहीं पावर हाउस देश के निजी घरानों के हैं। जरूरत पड़ने पर जिस तरह बिजली के दाम में इजाफा किया जा रहा है। और इस पर किसी भी तरह का अंकुश नहीं है, वह चिंताजनक है। केन्द्र ने साफ तौर पर चेतावनी दे दी है कि अगर बिजली कंपनियां बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के तहत बिजली की आपूर्ति नहीं करती हैं तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा। बिजली मंत्रालय ने सात अक्टूबर 2021 को आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों और राज्य सरकारों के साथ एक अहम बैठक बुलाई थी। बैठक में बिजली सचिव ने बिजली कंपनियांे के साथ ही राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया और साफ तौर पर कहा कि बिजली उत्पादन कंपनियों को अगर पीपीए के तहत पर्याप्त बिजली बनाने का काम करना है तो राज्य यह भी यह सुनिश्चित करें। कि कंपनियों को समय पर निर्धारित दरों पर भुगतान हो।
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