ठाणे की अदालत ने सबूतों के अभाव में हत्या के आरोपी को बरी किया

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न्यायाधीश अग्रवाल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से यह भी अनुरोध किया कि वे ‘‘इस बात की जांच करें कि मामला पांच वर्षों तक क्यों नहीं सौंपा गया’’ और रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने हत्या और लूटपाट के एक मामले में 2019 में गिरफ्तार 33 वर्षीय एक व्यक्ति को सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए बरी कर दिया है।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस. बी अग्रवाल ने 25 सितंबर को दिए आदेश में इस मामले की सुनवाई में हुई पांच साल की देरी की जांच का भी आदेश दिया। आदेश की एक प्रति रविवार को उपलब्ध करायी गयी। पेशे से बढ़ई अरमोगम राजा के खिलाफ आरोप था कि उसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक मार्च 2014 को एक चाकू और अन्य हथियारों से रितेश धर्मनारायण सिंह की हत्या कर लूटपाटी की थी।

मामले में आरोपी के तीन अन्य साथियों पर पहले अदालत में मुकदमा चलाऔर अपर्याप्त साक्ष्य के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था, जबकि दो अन्य को मामले से पहले ही मुक्त कर दिया गया था।

राजा फरार था और उसे 2019 में गिरफ्तार किया गया था। तब से वह हिरासत में है। मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने कई गवाह पेश किए और उन्होंने गवाही दी कि सिंह ने घटना की रात एक वाहन उधार लिया था और उसे आरोपी को वापस नहीं किया था। बचाव पक्ष ने कहा कि गवाहों ने राजा के खिलाफ कोई भी ठोस गवाही नहीं दी है और आरोप सिद्ध करने वाले साक्ष्यों का अभाव है।

अदालत ने कहा कि मुकदमे के दौरान किसी भी गवाह ने राजा के खिलाफ गवाही नहीं दी और प्रस्तुत साक्ष्य से अपराध में उसकी संलिप्तता साबित नहीं हुई। न्यायाधीश अग्रवाल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से यह भी अनुरोध किया कि वे ‘‘इस बात की जांच करें कि मामला पांच वर्षों तक क्यों नहीं सौंपा गया’’ और रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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