What is Delhi Liquor Policy case Part 6| शराब घोटाले में के कविता का नाम कैसे आया? | Teh Tak

Delhi Liquor Policy
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 30 2024 8:22PM

ईडी के साथ ही दिल्ली की शराब नीति में एक और केंद्रीय जांच एजेंसी एक्शन में है। पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की तरफ से अब तक तीन चार्जशीट कोर्ट में दायर की जा चुकी है।

दिल्ली की शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और के कविता इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद हैं। के कविता को 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया। के कविता के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 477-ए (खातों में हेराफेरी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (लोक सेवक को रिश्वत देने से संबंधित अपराध) के तहत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया है। के कविता पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में बदलाव के लिए रिश्वत के तौर पर आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपए दिए थे।

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के कविता ने करवाए शराब नीति में बदलाव?

प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दावा किया कि के कविता ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर शराब नीति में बदलाव करवाए। जांच एजेंसी ने बताया कि एक्साइज पॉलिसी में फेवर पाने के लिए के. कविता ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर साजिश रची थी। इसके बदले में 100 करोड़ रुपये का पेमेंट भी किया गया था। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार और साजिश का पता चला। बाद में ये पॉलिसी कैंसिल कर दी गई थी।

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सीबीआई ने पूरे घोटाले की कड़ियां जोड़ीं

ईडी के साथ ही दिल्ली की शराब नीति में एक और केंद्रीय जांच एजेंसी एक्शन में है। पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की तरफ से अब तक तीन चार्जशीट कोर्ट में दायर की जा चुकी है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, दिनेश अरोड़ा के जरिए साउथ लॉबी ने शराब कारोबार के लिए आप के कुछ नेताओं और लोक सेवकों को करीब 90-100 करोड़ रुपये की एडवांस रुपये की रकम दी थी। एल-1 के टेंडर में शामिल एक कंपनी की 30 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट डिपॉजिट मनी कंपनी को वापस कर दी गई। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया है कि शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के बीच एक कार्टेल बनाया गया था। कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस दिए गए। बिना एजेंडा और कैबिनेट नोट सर्कुलेट कराए कैबिनेट में मनमाने तरीके से प्रस्ताव पास करवाए गए। 

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