Waqf Amendment Bill Row | Tamil Nadu Assembly के प्रस्ताव में भाजपा नीत NDA से लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन विधेयक वापस लेने को कहा गया

Tamil Nadu Assembly
ANI
रेनू तिवारी । Mar 28 2025 10:11AM

सरकारी प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, 'इस देश पर शासन करने वाली किसी भी सरकार को नस्ल, भाषा, धर्म, पूजा स्थल और संस्कृतियों की विविधता के बीच व्याप्त सांप्रदायिक सद्भाव को ध्यान में रखना चाहिए। यह उसका मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए'।

देश में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी का माहौल हैं। विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के आह्वान पर मुस्लिम नेताओं ने यहां कन्वेंशन सेंटर में ‘इफ्तार और रात्रिभोज’ से दूरी बनाए रखी। इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू किया, जिसमें धरना-प्रदर्शन शामिल हैं। अब जाता विरोध तमिलनाडु में हुआ। तमिलनाडु विधानसभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से लोकसभा में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को वापस लेने के लिए कहा गया।

इसे भी पढ़ें: Kathua Encounter: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में मुठभेड़ में 3 पुलिसकर्मी शहीद, घने जंगल में छुपे तीन आतंकवादी भी हुए ढेर

सरकारी प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, "इस देश पर शासन करने वाली किसी भी सरकार को नस्ल, भाषा, धर्म, पूजा स्थल और संस्कृतियों की विविधता के बीच व्याप्त सांप्रदायिक सद्भाव को ध्यान में रखना चाहिए। यह उसका मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए"।

उन्होंने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कुटिल और षड्यंत्रकारी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों और श्रीलंकाई तमिलों को धोखा दिया है। इसने गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपी है। यह वित्त का हस्तांतरण न करके गैर-भाजपा राज्यों का गला घोंट रहा है। उनके कृत्य हमेशा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और सबसे पिछड़े वर्गों के लिए हानिकारक होते हैं।" स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, "हर कोई जानता है कि नीट और एनईपी समाज के निचले तबके के लोगों पर किस तरह से असर डालेंगे। 

इसे भी पढ़ें: कर्नाटक को तुष्टिकरण की राजनीति की प्रयोगशाला बना रही कांग्रेस: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी

वक्फ संशोधन इस सूची में सबसे नया नाम है। इससे मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हमें इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए।" प्रस्तावित संशोधन राजनीतिक हस्तक्षेप को बढ़ावा देते हैं और धार्मिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण डीएमके सहित विपक्ष ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि इसी विरोध के कारण विधेयक के मसौदे को संसदीय समिति के पास भेजा गया। उन्होंने प्रस्तावित वक्फ संशोधन कानून के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावों की एक सूची पेश की। उन्होंने जिन प्रमुख मुद्दों को उठाया, उनमें से एक वक्फ संस्थाओं की स्वायत्तता का खत्म होना है। 

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष व्यक्त की गई चिंताओं को केंद्र सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि संशोधनों के लागू होने पर जिन पहलुओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा, उन्हें 30 सितंबर, 2024 को जेपीसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। डीएमके सांसदों, पूर्व केंद्रीय मंत्री और नीलगिरी के सांसद ए राजा और राज्यसभा सदस्य एमएम अब्दुल्ला ने संशोधनों पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। सिर्फ़ उन्होंने ही नहीं, कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया। हालांकि, जेपीसी ने विपक्ष द्वारा सुझाए गए सभी संशोधनों को खारिज कर दिया।

स्टालिन ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इसे मंजूरी दे दी है, उन्होंने कहा कि "वक्फ संशोधन विधेयक को किसी भी समय लोकसभा में पेश किया जा सकता है।"

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़