लखीमपुर हिंसा: यूपी सरकार के रवैये से खुश नहीं सुप्रीम कोर्ट, कहा- जांच के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार जरूरी
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह आठ लोगों की नृशंस हत्या है और कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए। कोर्ट आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि यूपी सरकार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जरूरी कदम उठाएगी।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यूपी सरकार के रवैये से संतुष्ट नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जांच के लिए अब दूसरे विकल्पों पर विचार जरूरी है। मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ ना हो, इस बात का ध्यान रखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 302 के मामले में पुलिस क्या करती है?
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह आठ लोगों की नृशंस हत्या है और कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए। कोर्ट आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि यूपी सरकार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जरूरी कदम उठाएगी। मुख्य न्यायधीश ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे संभालती है तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो मामले की जांच कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो जांच कर सकती है।Lakhimpur Kheri violence case | Supreme Court says it is a brutal murder of eight persons and the law must take its course against all accused.
— ANI (@ANI) October 8, 2021
Court further says that it hopes that the UP government will take necessary steps due to the sensitivity of the issue. pic.twitter.com/5jXaEOaYS8
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि तीन अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा के सिलसिले में किन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वकील को इस बारे में स्थिति रिपोर्ट में जानकारी देने का निर्देश दिया था। वकील ने पीठ से कहा कि घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और राज्य मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगा।
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