DUSU Elections के लिए छात्र संघों ने घोषित किए अध्यक्ष पद के उम्मीदवार, किसान का बेटा और महत्वाकांक्षी संपादक भी मैदान में

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रितिका कमठान । Sep 16 2023 1:03PM

डूसू अध्यक्ष पद के लिए इस बार चार उम्मीदवार मैदान में है। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के तुषार डेढ़ा, कांग्रेस के नेतृत्व वाले नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के हितेश गुलिया, वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) के आयशा अहमद खान और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के आरिफ सिद्दीकी अध्यक्ष पद की रेस में है।

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव इस वर्श 22 सितंबर को होने है। चुनावों को लेकर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। डूसू चुनाव के मद्देनजर छात्र संगठनों ने कॉलेजों में प्रचार को तेज कर दिया है। सभी संगठनों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है और दावे किए हैं कि चुनावों में वो ही विजयी होने जा रहे है।

हालांकि आंकड़ों के लिहाज से चुनाव में एबीवीपी का पलड़ा भारी दिख रहा है। वहीं भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने भी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है। वहीं दूसरी तरफ वाम संगठन भी प्रचार में जोर शोर से जुटे हुए है। हालांकि देखना होगा कि जीत का सेहरा छात्र इस बार किसके सिर बांधते है। वैसे बीते 10 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने में सफलता पाई है। डूसू की कार्यकारिणी पर भी एबीवीपी का कब्जा रहा है। इस बार एनएसयूआई से कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।

बता दें कि देश भर में कोविड-प्रेरित प्रतिबंधों के कारण आवश्यक तीन साल के अंतराल के बाद चार सदस्यीय संघ के लिए चुनाव हो रहे हैं। डूसू 2023-24 के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने 14 सितंबर को नामांकन दाखिल करने के बाद अध्यक्ष पद के लिए लड़ने के लिए पात्र उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी कर दी है। डूसू अध्यक्ष पद के लिए इस बार चार उम्मीदवार मैदान में है। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के तुषार डेढ़ा, कांग्रेस के नेतृत्व वाले नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के हितेश गुलिया, वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) के आयशा अहमद खान और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के आरिफ सिद्दीकी अध्यक्ष पद की रेस में है।

बता दें कि वर्ष 2019 में भाजपा समर्थित एबीवीपी ने चार में से तीन पद जीते थे, जबकि सचिव पद पर एनएसयूआई के आशीष लांबा ने जीत हासिल की थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार तुषार डेढ़ा मूल रूप से उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोंडा के रहने वाले हैं। वर्तमान में डीयू में बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अपने पिता को खो दिया है और मेरी मां गृहिणी है। मेरी छोटी बहन है और मैं परिवार का एकमात्र सहारा हूं। छात्र राजनीति के साथ मेरा लक्ष्य अनुसंधान और एकेडेमिक्स में करियर बनाने का है। उन्होंने बताया कि वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से लंबे अर्से से जुड़े हुए है इसलिए मुद्दों को उठाने और उन्हें हल करने का जुनून है।

वहीं आइसा की ओर से इस बार आयशा अहमद खान चुनाव मैदान में है। 20 वर्षीय आयशा अध्यक्ष पद के लिए अकेली महिला उम्मीदवार है। वो वर्तमान में मिरांडा हाउस से अंग्रेजी ऑनर्स द्वितीय वर्ष की छात्रा है और पटना की रहने वाली है। आयशा ने बताया कि उनके पिता पत्रकार है और उनकी मां हाउसवाइफ है। अपने परिवार की पहली लड़की है आयशा को बाहर आकर पढ़ाई कर रही है। उन्होंने कहा कि मुझे राजनीति के बारे में जागरुक रहना और सवाल उठाना हमेशा सिखाया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में वो पिता की तरह पत्रकारिता में जाना चाहती है और संपादक बनना चाहती है।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के आरिफ सिद्दीकी उत्तर प्रदेश के उमरान गांव से है। 21 वर्षीय उम्मीदवार ने जाकिर हुसैन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में आकर पढ़ने वाले अपने गांव के दूसरे व्यक्ति है। बता दें कि सिद्दीकी के पिता एक किसान है, जो कुछ ही समय से राजनीति में सक्रिय हुए है। जब विश्वविद्यालय ऑनलाइन कक्षाओं में चला गया तो मैं एसएफआई में शामिल हो गया और कॉलेज खुलने के बाद भी एसएफआई के साथ जुड़ा रहा। बता दें कि सिद्दीकी आर्मी में सेवा देना चाहते है।

ये है चुनाव के मुद्दे
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम हटाने की मांग से लेकर छात्रावास के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने, छात्रों के लिए दिल्ली मेट्रो के रियायती पास और कॉलेज परिसरों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने तक के वादे कर रहे हैं। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह ने कहा कि कैम्पस का माहौल उत्साहजनक है और उल्लेखनीय है कि 90 फीसदी छात्र पहली बार चुनाव में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीदवार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं और वे कक्षाओं, कैंटीन तथा छात्रावासों में जाने समेत प्रचार के विभिन्न माध्यमों के जरिए साथी छात्रों के साथ सक्रियता से जुड़ रहे हैं।’’ एबीवीपी ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ और साउथ कैम्पस में छात्र गर्जना रैली आयोजित की। उसने एक बयान में कहा कि इस रैली का मकसद छात्रों के लिए दिल्ली मेट्रो के रियायती पास, प्रत्येक कॉलेज परिसर में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाना, खेल सुविधाओं और नए छात्रावास में सुधार लाना और कैम्पस के सम्पूर्ण बुनियादी ढांचे में सुधार लाने जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत करना था। 

कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंस यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सचिव और मीडिया एवं संचार प्रभारी लोकेश चुग ने कहा कि संगठन भी सक्रियता से प्रचार कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रमुख उद्देश्य कैम्पस के बुनियादी ढांचे में सुधार लाना, छात्रावास सुविधाओं जैसे मुद्दों को हल करना और यह सुनिश्चित करना है कि छात्र कैम्पस जीवन का भरपूर आनंद उठाएं।’’ एनएसयूआई के एक वरिष्ठ सदस्य ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि वह दो चुनाव घोषणापत्र जारी करेंगे जिसमें से एक ‘‘महिला केंद्रित’’ होगा। वाम दल से संबद्ध ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने पहले कहा था कि यह चुनाव चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर जनमत संग्रह है। छात्र संघ चुनाव चार साल के अंतराल के बाद 22 सितंबर को होंगे। पिछली बार चुनाव 2019 में हुआ था। 

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