शिवसेना विभाजन: विधानसभा अध्यक्ष दोनों गुटों की अयोग्यता याचिकाओं पर 12 अक्टूबर को सुनवाई करेंगे

Rahul Narvekar
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अदालत ने यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि ठाकरे ने शिंदे की बगावत के मद्देनजर शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया था। शिवसेना (यूबीटी) नार्वेकर पर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगा रही है। नार्वेकर ने 21 सितंबर को कहा था कि वह कुछ शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे क्योंकि इसके परिणामस्वरूप न्याय में विफलता हो सकती है।

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि वह शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अगली सुनवाई शुक्रवार के बजाय एक दिन पहले बृहस्पतिवार को करेंगे। नार्वेकर ने पिछले महीने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। पहली सुनवाई 14 सितंबर को हुई थी। विधानसभा अध्यक्ष ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अयोग्यता याचिकाओं पर (अगली) सुनवाई शुक्रवार को होने वाली थी। लेकिन मुझे उस दिन दिल्ली में जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20) में भाग लेना है, इसलिए मैंने सुनवाई का कार्यक्रम पहले करने का फैसला किया है।

यह सुनवाई अब शुक्रवार के बजाय बृहस्पतिवार को होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुनवाई के लिए बाद की तारीख तय कर सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं सुनवाई में और देरी नहीं करना चाहता। मैं इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला करना चाहता हूं।’’ जुलाई में विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था। मुख्यमंत्री शिंदे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे समेत कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद निर्वाचित हुईं शिवसेना (यूबीटी) की विधायक ऋतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था। ठाकरे गुट से संबंधित सुनील प्रभु ने अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में पिछले साल शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी, जब उन्होंने (शिंदे और अन्य विधायकों ने) जून 2022 में सरकार बनाने के लिए बगावत कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया था।

इस साल 11 मई को उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि ठाकरे ने शिंदे की बगावत के मद्देनजर शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया था। शिवसेना (यूबीटी) नार्वेकर पर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगा रही है। नार्वेकर ने 21 सितंबर को कहा था कि वह कुछ शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे क्योंकि इसके परिणामस्वरूप न्याय में विफलता हो सकती है।

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