शशि थरुर ने कहा, भारत जनसांख्यिक त्रासदी के मुहाने पर है खड़ा
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, इन सभी बातों का तभी कोई मतलब होगा और तभी वे लोग तभी जनसांख्यिकी लाभांश बनेंगे जब हम वाकई इन युवाओं को उन मौकों का लाभ उठाने के लायक बनाने के लिए जरुरी हुनर दे सकें जो 21 वीं सदी के पास हैं।’’
मुम्बई। कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा कि भारत जनसांख्यिकी त्रासदी के मुहाने पर खड़ा है क्योंकि इस सदी में रोजगार के जो अवसर हैं उनका लाभ उठाने के लिए देश के युवाओं के एक बड़े हिस्से को अबतक जरुरी कौशल नहीं प्रदान किया गया है। उन्होंने इस मुद्दे के समाधान के लिए युवकों को कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण समेत ‘सही प्रकार की शिक्षा’ प्रदान करने की नीतियों की जोरदार वकालत की।
थरुर ने कहा, ‘‘हमारी जनंसख्या का 65 फीसद हिस्सा 35 साल तक के उम्र के लोगों का है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) कहता है कि 2030 में 16 करोड़ लोगों को नौकरी की जरुरत होगी, ये लोग 19-23 वर्ष से उपर के होंगे। चीन में ऐसे लोगों की संख्या 9.2 करोड़ होगी। एक तरह से सोचें तो हम गतिशील, उत्पादक और युवा राष्ट्र की स्थिति में जा रहे हैं।’’ उन्होंने ‘द इकॉनोमिक समिट 2018’ में ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, इन सभी बातों का तभी कोई मतलब होगा और तभी वे लोग तभी जनसांख्यिकी लाभांश बनेंगे जब हम वाकई इन युवाओं को उन मौकों का लाभ उठाने के लायक बनाने के लिए जरुरी हुनर दे सकें जो 21 वीं सदी के पास हैं।’’ थरुर ने कहा कि फिलहाल भारत अपने युवकों को वर्तमान सदी के मौकों को प्रदान करने के मार्ग यानी रोजगार बाजार उन्मुख शिक्षा देने के रास्ते पर नहीं है। सांसद ने कहा कि जब युवाओं को कौशल विकास प्रदान करने की बात आती है तो हम पाते हैं कि भारत ने पिछला पांच साल बर्बाद कर दिया है।
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