देश की संसद में हंगामे से आहत शांता कुमार ने सांसदों पर नो वर्क नो पे की निति लागू करने की मांग की
वरिष्ठ भाजपा नेता हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार देश की संसद में सदन की बैठकों के दौरान हुये हंगामें से इस कदर आहत हैं कि उन्होंने हंगामा करने वाले सांसदों व विधायकों पर नो वर्क नो पे की निति लागू करने की मांग की है। ताकि हंगामा करने वालों पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे महौल में देश का नुक्सान हो रहा है। इसे रोका जाना चाहिये।
धर्मशाला, । वरिष्ठ भाजपा नेता हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार देश की संसद में सदन की बैठकों के दौरान हुये हंगामें से इस कदर आहत हैं कि उन्होंने हंगामा करने वाले सांसदों व विधायकों पर नो वर्क नो पे की निति लागू करने की मांग की है। ताकि हंगामा करने वालों पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे महौल में देश का नुक्सान हो रहा है। इसे रोका जाना चाहिये।
शांता कुमार ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की संसद में सभी सीमाएं तोड़कर जो शर्मनाक घटनाक्रम इस बार हुआ है, इससे सारा देश का शर्मसार हो गया है। उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेवारी सरकार और अध्यक्षों पर होती है। संविधान में उन्हें कार्यवाही करने के अधिकार दिए है। इसी समय तुरंत कार्यवाही की जानी चाहिए।
शांता कुमार ने कहा कि 130 करोड़ आबादी वाले देश के चुने हुए नेता सदन में जो हुल्लड़बाजी करते हैं, पूरा देश उसे देखता हैं। नई पीढ़ी क्या आदर्श प्राप्त करेगी। इसीलिए दुर्भाग्य से देश का लोकतंत्र भीड़तंत्र बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस देश में 19 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोते हैं उस गरीब देश के खज़ाने से हुल्लड़बाजी करने के लिए नेताओं को करोड़ों रुपये दिये जाते हैं। सदन समाप्त होने के बाद अब दोनों सदनों के अध्यक्ष कार्यवाही पर विचार कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भारत में सबसे अधिक कर्मचारियों की हड़तालें होती थी। बहुत बड़ी समस्या थी। 1990 में ”काम नही तो वेतन नही “ लागू किया। 29 दिन की हड़ताल का वेतन नहीं दिया। तब से लेकर आज तक पूरी शांति हो गई है। सदन में यही नियम लागू किया जाए। कार्यवाही रोकने वाले सदस्य की पहले एक दिन का वेतन कटा जाए। बाद में पूरे महीने का वेतन काट लिया जाए। पूरी शांति हो जायेगी। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार की शर्मनाक बात पर अब भी कार्यवाही न की गई तो सारा दोष सरकार और सम्माननीय अध्यक्षों का होगा।
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