नवरात्रि का सातवां दिन--- इस दिन मां कालरात्रि की पूजन का विधान है
ज्वालामुखी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रबल शास्त्री ने बताया कि आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां दुर्गा के रौद्र रूप काली, भद्रकाली, महाकाली का ही एक स्वरूप मां कालरात्रि हैं। मां कालरात्रि का पूजन नवरात्रि की सप्तमी तिथि को किया जाता है।
नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजन का विधान है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी की विशेष कृपा बनी रहती है। मां कालरात्रि के स्वरूप की बात करेम तो माता रानी के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है।
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ज्वालामुखी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रबल शास्त्री ने बताया कि आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां दुर्गा के रौद्र रूप काली, भद्रकाली, महाकाली का ही एक स्वरूप मां कालरात्रि हैं। मां कालरात्रि का पूजन नवरात्रि की सप्तमी तिथि को किया जाता है। काली मां को कलियुग में प्रत्यक्ष फल देने वाली देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि के पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि काल पर भी विजय प्रदान करती हैं।
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मां कालरात्रि का विकराल रूप दैत्यों, भूत-प्रेत के नाश के लिए, जबकि वो भक्तों को शुभफल प्रदान करती हैं। इस कारण ही मां को शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि के पूजन में रातरानी के फूल और गुड़ जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी तरह के भय और दुख दूर करती हैं।नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन मां कालारात्रि के पूजन के साथ मां के कवच और आरती का भी पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से भानु चक्र जाग्रत होता है। मां की कृपा से अग्नि, जल, आकाश, भूत-पिशाच भय तथा प्रेतबाधा समाप्त हो जाते हैं। मां कालरात्रि अपने भक्तों को सभी प्रकार का अभय प्रदान करती हैं।
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