नवरात्र मेला में आज माता के जयकारों से गूंजा ज्वालामुखी

Jawalamukhi

यहां मंदिर को रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। जिससें दिन रात में महौल एक सा नजर आ रहा है। यहां मदिर में सजावट व रंगीन रोशनियों से सुंदरता में चार चांद लग गये हैं। मंदिर की चकाचौंध देखते ही बनती है। अपने श्रद्धाभाव के चलते श्रद्धालु यहां जुट जाते हैं।

ज्वालामुखी।  सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में नवरात्र मेला के चौथे दिन आज भारी तादाद में श्रद्धालु दर्शनों को आ रहे है।  जिससे महौल भक्तिमय हो गया है। अपनी दिव्यता के लिये मशहूर तीर्थस्थल ज्वालामुखी में पंजाब, हरियाणाए राजस्थान दिल्ली सहित व उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों से लोग यहां दर्शनों को आ रहे हैं।

 

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यहां मंदिर को रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। जिससें दिन रात में महौल एक सा नजर आ रहा है। यहां मदिर में सजावट व रंगीन रोशनियों से सुंदरता में चार चांद लग गये हैं।  मंदिर की चकाचौंध देखते ही बनती है। अपने श्रद्धाभाव के चलते श्रद्धालु यहां जुट जाते हैं। भले ही रात हो। लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पडता। उन्हें तो अपनी अराध्य देवी के दर्शन करने हैं। यहां रविवार होने की वजह से भीड में ईजाफा हुआ है।  ज्वालामुखी में रात से ही बडी तादाद में श्रद्धालु कतारों में अपने दर्शनों के इंतजार कर हैं।  माता के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज रहा है। माता के पांचवे रूवरूप कुष्मांडा की पूजा हो रही है। 

पंडित प्रबल शास्त्री ने बताया कि शारदीय नवरात्र मेला के चौथे दिन आज ज्वालामुखी में आज पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।         

पंडित प्रबल शास्त्री ने बताया कि स्कंदमाता की उपासना से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।  इनकी पूजा से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इनकी कृपा से मूर्ख भी विद्वान बन सकता है। स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं हैं । कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनकी उपासना से सारी इच्छाएं पूरी होने के साथ भक्त को मोक्ष मिलता है।  मान्यता भी है कि इनकी पूजा से संतान योग बढ़ता है स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं ।इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

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