गुजरात दंगों के मामलों से जुड़े 95 गवाहों, वकील, सेवानिवृत्त न्यायाधीश का सुरक्षा घेरा वापस लिया गया

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तेरह दिसंबर को एसआईटी के गवाह संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रमुख पुलिस अधिकारी बी सी सोलंकी ने अहमदाबाद पुलिस को एक पत्र लिखकर एसआईटी के मूल्यांकन के बाद कुछ गवाहों को दी गई सुरक्षा वापस लेने के फैसले के बारे में सूचित किया था। पत्र में सोलंकी ने शहर के पुलिस आयुक्त से सुरक्षा घेरा वापस लेने के बाद गवाहों की भलाई का ध्यान रखने के लिए संबंधित पुलिस थाना प्रभारी को निर्देश देने का अनुरोध किया था। सोलंकी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।

गुजरात सरकार ने 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड और उसके बाद हुए दंगों के मामलों में जांच कर रहे उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के गवाह संरक्षण प्रकोष्ठ की सिफारिश पर 95 गवाहों की सुरक्षा वापस ले ली है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एसआईटी ने दंगा पीड़ितों के मामलों में पैरवी कर रहे एक वकील और एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को दिया गया केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का सुरक्षा घेरा भी वापस ले लिया है। सहायक पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) एफ ए शेख ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी के गवाह संरक्षण प्रकोष्ठ की सिफारिश के आधार पर अहमदाबाद पुलिस ने नरोदा गाम, नरोदा पाटिया और गुलबर्ग सोसाइटी जैसे दंगों के अनेक मामलों में 95 गवाहों को दी गई पुलिस सुरक्षा वापस ले ली है।’’

नरोदा पाटिया दंगा मामले में अदालत में गवाही देने वाली 54 साल की फरीदा शेख का सुरक्षा घेरा भी वापस ले लिया गया है। शेख ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार हम जैसे लोगों को पुलिस सुरक्षा दी गई थी। एक सशस्त्र पुलिसकर्मी सुबह से शाम तक मेरे घर के बाहर पहरा देता था। 26 दिसंबर को, मुझे नगर पुलिस द्वारा सूचित किया गया कि मेरा सुरक्षा घेरा वापस ले लिया गया है। मुझे कोई कारण नहीं बताया गया।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘अन्य कई गवाहों के साथ भी ऐसा हुआ है। हम डर में जी रहे हैं, क्योंकि अनेक आरोपी अब भी बाहर हैं और वे हमें अब भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।’’ गुलबर्ग सोसाइटी पीड़ितों की ओर से अदालत में पेश हुए वकील एस एम वोरा का सुरक्षा घेरा भी हाल में वापस ले लिया गया था।

वोरा ने कहा, ‘‘मुझे सुरक्षा देने के लिए सीआईएसएफ के एक जवान को तैनात किया गया था और एसआईटी ने सुरक्षा घेरा वापस लेने के लिए कोई कारण नहीं बताया है।’’ सूत्रों ने बताया कि नरोदा पाटिया दंगा मामले में 32 लोगों को दोषी करार देने वाली शहर की पूर्व प्रधान सत्र न्यायाधीश ज्योत्सना याज्ञिक का सुरक्षा घेरा भी वापस ले लिया गया है। उन्हें सेवा के दौरान करीब 15 बार धमकियां मिली थीं, जिसके बाद उन्हें सीआईएसएफ की सुरक्षा प्रदान की गई थी। सूत्रों ने बताया कि उनके आवास पर तैनात सीआईएसएफ कर्मियों ने पिछले महीने दिवाली के बाद से आना बंद कर दिया।

तेरह दिसंबर को एसआईटी के गवाह संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रमुख पुलिस अधिकारी बी सी सोलंकी ने अहमदाबाद पुलिस को एक पत्र लिखकर एसआईटी के मूल्यांकन के बाद कुछ गवाहों को दी गई सुरक्षा वापस लेने के फैसले के बारे में सूचित किया था। पत्र में सोलंकी ने शहर के पुलिस आयुक्त से सुरक्षा घेरा वापस लेने के बाद गवाहों की भलाई का ध्यान रखने के लिए संबंधित पुलिस थाना प्रभारी को निर्देश देने का अनुरोध किया था। सोलंकी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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