दिल्ली सरकार को SC से झटका, ACB और जांच आयोग पर होगा केंद्र का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दिल्ली में नौकरशाहों की नियुक्ति और स्थानांतरण को लेकर केंद्र या दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र पर फैसला सुनाया है।
दिल्ली सरकार-LG विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा कि सारे कार्यकारी अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही रहेगा। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जमीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर मामले केंद्र के पास ही रहेंगे। इसके अलावा जस्टिस सीकरी ने कहा कि गंभीर मामलों पर LG के साथ सरकार कोई विवाद नहीं करें। साथ ही साथ जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली सरकार किसी भी जांच आयोग का गठन नहीं कर सकती है। फैसले में यह भी कहा गया है कि ACB का दायरा सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित रहेगा। जस्टिस सिकरी और जस्टिस भूषण ने पांच मामलों में एक समान राय रखी।
Justice AK Sikri holds transfers of posting of Joint Secretary&above officers are in the domain of LG while other officers fall under Delhi govt, however, in case of difference of opinion, view of LG to prevail. Anti Corruption Bureau to come under LG.
— ANI (@ANI) February 14, 2019
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दिल्ली में नौकरशाहों की नियुक्ति और स्थानांतरण को लेकर केंद्र या दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र पर फैसला सुनाया है। एंटी करप्शन ब्यूरो एलजी के अधीन होगा। नौकरशाहों की नियुक्ति और स्थानांतरण का फैसला ऊपरी बेंच को भेज दिया गया है।
Justice Ashok Bhushan dissents from Justice Sikri on the issue of 'Services' and says all the officers fall under the domain of the Central government. https://t.co/B8kg6oATx4
— ANI (@ANI) February 14, 2019
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं के नियंत्रण के विवादास्पद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को खंडित फैसला दिया और यह मामला वृहद पीठ के पास भेज दिया गया। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सेवाओं के नियंत्रण संबंधी मुद्दे पर टकराव की स्थिति रहती है। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, जांच आयोग गठित करने, बिजली बोर्ड पर नियंत्रण, भूमि राजस्व मामलों और लोक अभियोजकों की नियुक्ति संबंधी विवादों पर अपने विचारों पर सहमत रही।
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उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस अधिसूचना को भी बरकरार रखा कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि लोक अभियोजकों या कानूनी अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार उप राज्यपाल के बजाय दिल्ली सरकार के पास होगा।
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