ED की अर्जी खारिज, SC ने धनशोधन मामले में अनिल देशमुख को मिली जमानत को बरकरार रखा

Anil Deshmukh
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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों से मामले में सुनवाई प्रभावित नहीं होगी।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। दो नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किए गए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के एक मामले का भी सामना करना पड़ रहा है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों से मामले में सुनवाई प्रभावित नहीं होगी। लगभग दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने निष्कर्ष में गलती की है। उन्होंने दावा किया कि मामले के सबूतों पर उच्च न्यायालय द्वारा चुनिंदा रूप से चर्चा की गई जिसके परिणामस्वरूप विकृत निष्कर्ष निकला। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत को आदेश को रद्द करने की जरूरत है क्योंकि इसमें की गई टिप्पणियों के धनशोधन के मामलों में दूरगामी परिणाम होंगे। उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर को पूर्व मंत्री को संबंधित मामले में जमानत दे दी थी और कहा था कि उनके परिवार के ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा दो राशि अपराध की आय नहीं हैं। 

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इसकी एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा था कि देशमुख परिवार द्वारा नियंत्रित एक ट्रस्ट के खाते में ईडी द्वारा चिह्नित दो राशि (10.42 करोड़ रुपये और 1.12 करोड़ रुपये) अपराध की आय नहीं हैं। हालांकि, ईडी द्वारा आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का अभिवेदन किए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर तक अपने आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी। पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे देशमुख मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं। मंगलवार की सुनवाई में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आरोपी की उम्र 73 साल है और वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और इसलिए स्वास्थ्य के आधार पर जमानत आदेश जारी रखा जा सकता है। हालाँकि, मेहता ने तर्क दिया कि उनकी सभी बीमारियाँ जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ हैं और कहीं भी यह सुझाव नहीं दिया गया है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है। 

मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाजे ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में दावा किया कि देशमुख ने उन्हें मुंबई के 1,750 बार से हर महीने तीन लाख रुपये की दर से पैसे लेने के लिए कहा था। पीठ ने कहा कि चूंकि वाजे 17 साल तक निलंबित रहा और वह हत्या के एक मामले में आरोपी है, इसलिए अदालत के लिए उसके बयानों पर भरोसा करना मुश्किल होगा। देशमुख की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी लेन-देन, जिनका ईडी ने उल्लेख किया है, उचित बैंकिंग माध्यम से किए गए हैं और सभी का हिसाब-किताब है। सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी क्योंकि वाजे जैसे व्यक्ति के बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ईडी ने दावा किया है कि देशमुख ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तराओं से 4.70 करोड़ रुपये एकत्र किए।

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