वकील ने कहा- किसी की आपत्ति पर नहीं लग सकता बैन, SC ने पूछा- इस्लाम में नमाज अनिवार्य नहीं तो हिजाब क्यों जरूरी?
हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अगर कोई हेड स्कार्फ पहनता है, तो इससे कैसे किसी का मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो जाता है?
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि जब इस्लाम में नमाज अनिवार्य नहीं है तो मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब कैसे आवश्यक और अनिवार्य हो गया। पीठ ने इस सवाल के लिए मुस्लिम पक्ष के ही तर्कों का हवाला दिया, जिसमें उनकी वकील ने कहा कि समुदाय के लिए इस्लाम के पांच प्रमुख सिद्धांतों - नमाज, हज, रोजा, जकात का पालन करना अनिवार्य नहीं है। यह सवाल न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ से आया जब याचिकाकर्ता फातमा बुशरा के वकील मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा ने समझाया कि इस्लाम में अपने अनुयायियों को इस्लाम के पांच सिद्धांतों का पालन करने के लिए मजबूर करने की कोई बाध्यता नहीं है।
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हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अगर कोई हेड स्कार्फ पहनता है, तो इससे कैसे किसी का मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो जाता है? सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता की अगुआई वाली बेंच के सामने याची के वकील देवदत्त कामत ने दलील दी कि राज्य का कहना है कि अन्य वर्ग को हेड स्कार्फ पहनने पर आपत्ति है, लेकिन यह हिजाब बैन का आधार नहीं हो सकता है।
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सुनवाई के दौरान याची के वकील ने कहा कि सिख भी पगड़ी पहनते हैं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि सिख से तुलना ठीक नहीं है। क्योंकि सिख के प्रैक्टिस में पांच ककार अनिवार्य हैं और सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है। इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार यानी 12 सितंबर को होगी।
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