जीवन बचाना ज्यादा जरूरी, बाद में आता है आजीविका बचाना: सिद्धार्थनाथ सिंह

Siddharth Nath Singh

सिंह ने कहा कि हम उद्योग जगत से पूरी विनम्रता से अनुरोध करते हैं कि प्रवासी श्रमिकों को राज्य में ही बने रहने के लिए उन्हें फैक्टरियों या आसपास की जगहों पर समायोजित करने में सरकार की मदद करें क्योंकि एक बार अगर ये श्रमिक अपने गृह जनपदों को चले गये तो उन्हें काम पर वापस लाना कठिन होगा और इसका असर उद्योग पर पड़ेगा।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्यम, निवेश एवं निर्यात मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कोरोना वायरस महामारी के परिप्रेक्ष्य में कहा है कि सरकार के लिए जीवन बचाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, उसके बाद आजीविका बचाने का मामला आता है। सिंह ने कहा कि सरकार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में दस लाख रोजगार सृजित करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलु पहले जीवित रहना है और उसके बाद पेट के लिए आजीविका कमाना आता है। इसलिए जीवन बचाना सरकार के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और उसके बाद आजीविका बचाना आता है। सिंह के पास वस्त्र, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग भी है। उन्होंने शुक्रवार को पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उद्योग जगत से जुडे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम उद्योग जगत को आश्वासन देना चाहते हैं कि केन्द्र और राज्य दोनों ही सरकारें रूकी हुई आर्थिक गतिविधियों और भारतीय उद्योग को पुनर्जीवित करने को लेकर काफी चिन्तित है।

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पीएचडीसीसीआई की ओर से शनिवार को जारी प्रेस नोट में सिंह के हवाले से कहा गया कि प्रभावी राहत पैकेज बनाने की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें विशेष ध्यान सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर रहेगा। उन्होंने चेंबर को आश्वस्त किया कि सरकार का इरादा उद्योग जगत के मुददों और चुनौतियों का हर तरह से समाधान कर उसे सहारा देना है। मंत्री ने कहा कि हम समझते हैं कि अगर सरकार अनिश्चितता के इस कठिन समय में उद्योग जगत का हाथ नहीं पकड़ती है तो कोविड-19 लॉकडाउन हटाये जाने के बाद भारत पुन: खड़ी नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि अगर हम ग्रामीण क्षेत्रों में आय सृजन नहीं करते तो उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पर काफी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि राज्य की 70 फीसदी आबादी गांवों में रहती है।

सिंह ने कहा कि हम उद्योग जगत से पूरी विनम्रता से अनुरोध करते हैं कि प्रवासी श्रमिकों को राज्य में ही बने रहने के लिए उन्हें फैक्टरियों या आसपास की जगहों पर समायोजित करने में सरकार की मदद करें क्योंकि एक बार अगर ये श्रमिक अपने गृह जनपदों को चले गये तो उन्हें काम पर वापस लाना कठिन होगा और इसका असर उद्योग पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में विदेशी निवेश आकर्षित करने के मकसद से निवेशकों के अनुरूप (इन्वेस्टर फ्रेंडली) नीति बनाने के लिए दिन रात काम कर रही है। पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष डॉ. डी के अग्रवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार रोकने में सरकार की ओर से किये गये सक्रिय एवं एहतियाती उपायों की सराहना की। अग्रवाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार अपने उद्योग के भविष्य के बारे में सोचें और भावी कदम जिम्मेदारी से उठायें। चेंबर के महासचिव सौरभ सान्याल ने उद्योग जगत को हर तरह से प्रोत्साहित और मदद करने में सरकार के प्रयासों की सराहना की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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