Sanjay Raut का दावा, 2000 करोड़ रुपये के पैकेज डील में शामिल था शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न
शो में जब रजत शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के तौर-तरीके शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे से काफी मिलते-जुलते हैं, तो संजय राउत ने कहा कि जॉनी लीवर और राजू श्रीवास्तव जैसे हास्य कलाकार और मिमिक्री आर्टिस्ट भी नकल कर सकते हैं, लेकिन ऐसे कोई नेता नहीं बन जाता।
नई दिल्ली: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत का कहना है कि वह अपने इस आरोप पर कायम हैं कि ‘विधायकों की खरीद पर 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए’ और पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न हासिल करना उसी ‘पैकेज डील का हिस्सा’ था। उन्होंने कहा, 'आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है।'
आज रात 10 बजे इंडिया टीवी पर प्रसारित होने वाले रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में सवालों के जवाब देते हुए संजय राउत ने कहा: ‘मैंने इतना कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति के खेल में 2000 करोड़ का खर्चा हुआ है और उस पैकेज में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न भी आते हैं। महाराष्ट्र में, पूरे देश में एक घोषणा लोकप्रिय है जब यह हमारे फूटे हुए अंगार निकलते हैं तो लोग बोलते हैं 50 खोखे एकदम ओके। यह 50-50 खोखे मतलब 50-50 करोड़ देकर आप को खरीद लिया है। यह पूरे महाराष्ट्र और देश को मालूम है और वह लोग भी इंकार नहीं करते हैं। अब देखिए कि अगर हमारे 50 एमएलए टूट गए हैं तो 50 खोखे का हिसाब लगाएं तो दो हजार करोड़ हो जाता है। तो इसमें गलत क्या है? और इसी आधार पर चुनाव आयोग ने बहुमत देखा है, जो मतगणना की है इन 50 लोगों की।’
रजत शर्मा: ‘तो चुनाव आयोग को अपने बताया था कि 2000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं तब जाकर यह सरकार बनी है?’
संजय राउत: ‘जो बात पूरे देश को मालूम है वह चुनाव आयोग को मालूम नहीं है? जो बच्चा-बच्चा जानता है इस देश का। हमारे चुनाव आयोग में इतने विद्वान हैं, उनको भी पता होना चाहिए।’
रजत शर्मा: ‘शिंदे साहब तो कह रहे हैं कि 2000 करोड़ रुपये तो कहने की बात है।’
संजय राउत: ‘मैंने तो बहुत कम आंकड़ा लिया है। असली आंकड़ा बताऊंगा और सब का हिसाब दे दूंगा जल्दी ही।’
पिछले हफ्ते संजय राउत ने ट्वीट किया था, 'मेरे पास पुख्ता जानकारी है कि शिवसेना के नाम और उसके चुनाव चिह्न को हासिल करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की डील हुई है। यह शुरुआती आंकड़ा है और 100 फीसदी सच है। कई चीजों का खुलासा होगा। देश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।'
जब रजत शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग के आदेश के बाद उनकी पार्टी इस बात की ज्यादा चिंता कर रही है कि 384 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को कैसे बचाया जाए, संजय राउत ने जवाब दिया: ‘अब इस देश की राजनीति में 300 करोड़ रुपये कोई आंकड़ा है क्या? आप मुझे बताइए, इतनी पुरानी पार्टी है हमारी, 50 साल से भी ज्यादा इस पार्टी को हो गया है। इतने साल से हम मुंबई और राज्य में सत्ता में हैं, केंद्र में हमने काम किया है। तो अगर एक पार्टी के फंड के नाते 300-400 करोड़ रुपये पार्टी में जमा किया है तो शिंदे साहब को पेट में दर्द होने की जरूरत नहीं है।’
रजत शर्मा: 'उनको तो यह भी लगता है कि आप डरते हैं कि मातोश्री पर भी कब्जा हो जाएगा?'
संजय राउत: ‘देखिए, चुनाव आयोग के माध्यम से इन लोगों ने शिवसेना और हमारे धनुष-बाण पर कब्जा किया है। वह संभालें दो-तीन महीने के लिए, फिर इनकी ताकत दिख जाएगी। यह पूरा जो गोलमाल है वह कुछ दिनों का खेल है, असली शिवसेना तो पब्लिक में है, जनता में है।’
रजत शर्मा: 'लेकिन 40 एमएलए और 12 एमपी उनके पास हैं?'
संजय राउत: 'देखिए, 40 एमएलए होने से पार्टी नहीं होती है। एमएलए को जिताया किसने, एमएलए बनाया किसने? उद्धव ठाकरे जी ने बनाया, बालासाहेब ठाकरे के नाम पर चुनकर आए। हम सबने मेहनत किया है, जनता ने उनको वोट दिया है। ये 40 लोग वापस चुनाव में उतर के दिखाएं और जीत के आएं फिर पता चलेगा असली शिवसेना कहां है।’
रजत शर्मा: 'तो फिर आपको इस बात की चिंता क्यों है कि नाम और चुनाव चिह्न चला गया, अगर ठाकरे का ब्रांड है तो फिर चला लेंगे?'
संजय राउत: 'क्यों नहीं चलाएंगे? ठाकरे ब्रांड पर ही आज तक चला है। शिंदे भी ठाकरे ब्रांड का ही प्रोडक्ट है न। वह ठाकरे जी के नाम के सिवाय जीत ही नहीं सकते।'
संजय राउत ने कहा, काला जादू कर रही है शिंदे सरकार
'सामना' के मैनेजिंग एडिटर ने आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे की सरकार में काले जादू का बोलबाला है।
रजत शर्मा: ‘मैंने सामना में बड़ा सनसनीखेज एडिटोरियल पढ़ा, जिसमें लिखा था कि महाराष्ट्र की सरकार बचाए रखने के लिए, चलाने के लिए जादू-टोना होता है, नींबू मिर्च और काली गुड़िया का कमाल है?’
संजय राउत: ‘इस बारे में आप जनता में जाकर सर्वे कर लीजिए। आपको जनता बता दे कि महाराष्ट्र में क्या चल रहा है। आप मंत्रालय में या सीएम हाउस में जाकर देखिए क्या चल रहा है। गुवाहाटी में जिस मंदिर में गए थे, वहां क्या कर रहे थे? किसकी-किसकी बलि चढ़ाई? सबको मालूम है, उसमें छिपाने वाली बात क्या है? आप महाराष्ट्र में घर-घर में जाकर पूछिए, यह जादू-टोना क्या चल रहा है। यह महाराष्ट्र के घर-घर की परंपरा नहीं है, यह सब अंधश्रद्धा है।’
रजत शर्मा: ‘आर्टिकल में लिखा था कि सुप्रिया सुले की साड़ी जल गई, अजीत पवार लिफ्ट में फंस गए, बालासाहेब थोराट का कंधा टूट गया, धनंजय मुंडे का ऐक्सिडेंट हो गया, संजय राउत जेल चले गए। यह सब जादू टोने से हुआ?’
संजय राउत: ‘आप आगे एक लाइन पढ़ना भूल गए। मैंने लिखा था ऐसी महाराष्ट्र की जनता की भावना है।’
रजत शर्मा: 'तो थोड़े दिन में उनका काला जादू खत्म हो जाएगा?'
संजय राउत: 'काला जादू, काला जादू होता है। मैं बाल ठाकरे के जादू को मानता हूं।'
रजत शर्मा: ‘क्या आपको यह विरोधाभास नहीं लगता कि एक तरफ आप अदालतों में अपना केस लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ आप आरोप लगा रहे हैं कि न्यायपालिका सत्ता में बैठे लोगों की 'रखैल' बन गई है?’
संजय राउत: ‘हां, मैंने यह लिखा है और मैं इस पर विश्वास करता हूं। यह आरोप लगाने वाला मैं अकेला नहीं हूं। देश के कई बड़े लोग भी यह कह रहे हैं कि हमें न्याय नहीं मिल रहा है। मैंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ही एकमात्र जगह बची है जहां हमें न्याय मिलने की उम्मीद की किरण दिखती है।’
शिवसेना के उद्धव गुट के नेता ने कहा कि जो 40 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ गए थे, उनमें से ज्यादातर पर ED, CBI और इनकम टैक्स की कार्रवाई चल रही थी। राउत ने कहा, ‘जो 40 लोग चले गए, उनमें से 10 लोगों के ऊपर ED की कार्यवाही चल रही थी, वे डर गए। उनमें से 3 लोगों के ऊपर सीबीआई की कार्यवाही चल रही थी, 2 लोग इनकम टैक्स के झांसे में आ रहे थे। उनको डराया-धमकाया और बाद में पैसों का लालच दिखाया, और लोग भाग गए। मध्य प्रदेश में ज्योतिराज सिंधिया के साथ क्या हुआ? महाराष्ट्र में वही खेल हुआ जो मध्य प्रदेश में हुआ, और वे यही खेल राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में करने जा रहे थे। उन्होंने यह खेल दिल्ली और तेलंगाना में भी करने की कोशिश की थी।’
रजत शर्मा: ‘लेकिन नारायण राणे कहते हैं कि संजय राउत मुझसे संसद में मिले और उन्होंने उद्धव ठाकरे के बारे में कई बातें कहीं। अगर मैं वह बात अगर रश्मि ठाकरे को बता दूंगा तो वह उन्हें चप्पल से मारेंगी।’
संजय राउत: ‘किसको? राणे को? राणे को तो चप्पल से ही मारना चाहिए। इतना झूठा आदमी इस देश की राजनीति में नहीं हुआ है। मैं इस पार्टी में बैठा हूं। आपने 3 बार पार्टी छोड़ी है। मैं मेरी पार्टी के साथ वफादार हूं और यही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है, यही मेरी ताकत है। अभी 40 लोग हमारे मित्र थे, मेरे सामने आकर नजर से नजर नहीं मिला सकते। एकनाथ शिंदे ने खुद एक बार कहा था कि वह रिक्शा चलाते थे। रिक्शा चलाने वाला आदमी कहां पहुंच गया? उसे किसने बनाया? बालासाहेब की शिवसेना थी।’
रजत शर्मा: ‘आप तो रोज कहते थे कि ये जो विधायक गए हैं, वे वापस आ जाएंगे। 40 में से 20 आ जाएंगे और 18 रह जाएंगे?’
संजय राउत: ‘आने को कुछ लोग आ जाएंगे, लेकिन दिल्ली वालों के डर की तलवार उन पर लटक रही है। वे जेल जाने से डरते हैं। जैसे, ‘सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा।’
रजत शर्मा: ‘तो क्या वजह है कि ये 40 लोग डरते थे और संजय राउत नहीं डरे?’
संजय राउत: ‘मैं इसलिए नहीं डरा क्योंकि मुझे जो भी मिला है, मेरी पार्टी की तरफ से मिला है। सड़क पर चलते हुए मुझे कोई गोली मार सकता है। अगर मेरे मेरे जीवन में लिखा है कि आज मेरी मृत्यु है तो कोई रोक नहीं सकता। जेल जाकर आया हूं। पूरा अनुभव है मेरे पास जेल का।’
संजय राउत ने राज ठाकरे की तुलना जॉनी लीवर से की
शो में जब रजत शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के तौर-तरीके शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे से काफी मिलते-जुलते हैं, तो संजय राउत ने कहा कि जॉनी लीवर और राजू श्रीवास्तव जैसे हास्य कलाकार और मिमिक्री आर्टिस्ट भी नकल कर सकते हैं, लेकिन ऐसे कोई नेता नहीं बन जाता।
रजत शर्मा: ‘आपके तो ठाकरे परिवार से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। आप कारण बताएंगे कि उद्धव ठाकरे से राज ठाकरे अलग क्यों हुए थे?’
संजय राउत: ‘उनकी इच्छा। घर में दो-चार भाई होते हैं, अलग-अलग घर बना लेते हैं। सबको मौका मिलना चाहिए काम करने का। उनको लगा मुझे अलग से कुछ करना है, तो करने दीजिए। उन्होंने खुद की पार्टी बनाई। अगर खुद की पार्टी बनाई तो चलनी चाहिए थी। अब उनके पास कुछ नहीं है। कभी बीजेपी के साथ, तो कभी उनके चलता है। यहां तक कि शिंदे को भी लगता है कि उसमें देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता है। राणे को लगता है कि वह मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन जाएगा। क्षमता है तो दिखाओ बाहर जाकर।’
रजत सर: आपको नहीं लगता कि राज ठाकरे जब अपने अंदाज में बोलते हैं तो उनमें बालासाहेब ठाकरे का रिफ्लेक्शन दिखता है?
संजय राउत: जॉनी लीवर सबकी नकल करता है। राजू श्रीवास्तव बहुत अच्छी नकल करता था। सुनील पाल की नकल मैं हमेशा देखता हूं। बालासाहेब को यह नकल बहुत अच्छे लगते थे। सबको बुलाकर दरबार करते थे। बालासाहेब की नकल और भी लोग करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि सब बालासाहेब ठाकरे बन गए। मैं ठाकरे साहब जैसा लिखता हूं तो लोग बोलते हैं कि आप बालासाहेब ठाकरे बन गए। मैं बोलता हूं, बालासाहेब ठाकरे एक ही हैं। मैं नकल नहीं करता।
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