रूस और भारत रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत बनाने को लेकर प्रतिबद्ध: रूसी राजदूत
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस और भारत यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच रक्षा सहयोग यूक्रेन संकट से ‘‘निर्बाध’’रहे और ‘‘नकारात्मक बाहरी कारकों’’ से पैदा हुईं ‘‘बाधाओं’’को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके।
नयी दिल्ली। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस और भारत यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच रक्षा सहयोग यूक्रेन संकट से ‘‘निर्बाध’’रहे और ‘‘नकारात्मक बाहरी कारकों’’ से पैदा हुईं ‘‘बाधाओं’’को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके। रूसी राजदूत ने पीटीआई-से कहा कि रूस द्वारा भारत को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एस-400 की आपूर्ति करने की प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच रक्षा क्षेत्र में आपसी संबंधों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियमित रूप से संवाद हो रहा है।
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अलीपोव की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब भारत में कुछ हलकों ने आशंका जाहिर की है कि यूक्रेन में संघर्ष के कारण भारतीय सशस्त्र बलों को रूस द्वारा प्रमुख सैन्य प्रणालियों और अन्य साजो-सामान की आपूर्ति में देरी हो सकती है। अलीपोव ने कहा, रक्षा क्षेत्र में सहयोग रूस और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभों में से एक है। हमारे दोनों देश यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत प्रेरित हैं कि यह सहयोग निर्बाध रूप से जारी रहे। उन्होंने कहा, हम नकारात्मक बाहरी कारकों द्वारा निर्मित बाधाओं को सफलतापूर्वक कम करने और वैकल्पिक भुगतान और रसद विकल्पों का उपयोग करके नयी वास्तविकताओं को समायोजित करने में कामयाब रहे हैं। विशेष रूप से एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के बारे में पूछे जाने पर अलीपोव ने कहा, यह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है।
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गौरतलब है कि भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका को दरकिनार करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों की खरीद के लिए रूस के साथ अक्टूबर 2018 में पांच अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अलीपोव ने कहा, ‘‘हमारे नेताओं के बीच व्यक्तिगत समझ है, वे नियमित संवाद करते हैं और गहरी आपसी समझ प्रदर्शित करते हैं। दिसंबर 2021 में राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन की नयी दिल्ली की यात्रा एक ऐतिहासिक घटना थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल दोनों नेताओं ने टेलीफोन पर चार बार बात की। उनके लिए ब्रिक्स, एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) और जी20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बातचीत करने के कई मौके आये।
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