आरसीपी सिंह छोड़ देंगे जदयू अध्यक्ष की कुर्सी ! दावेदारों में यह नाम सबसे आगे
माना जा रहा है कि पार्टी एक व्यक्ति और एक पद के सिद्धांत के आधार पर नया अध्यक्ष चुन सकती है। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और ललन सिंह के साथ-साथ तमाम बड़े नेता और संगठन के नेता शामिल होंगे।
दिल्ली के जंतर मंतर पर आज जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। सूत्र यह बता रहे हैं कि इस बैठक में पार्टी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन कर सकती है। मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो जाने के बाद पार्टी अब नए अध्यक्ष की तलाश में है। माना जा रहा है कि पार्टी एक व्यक्ति और एक पद के सिद्धांत के आधार पर नया अध्यक्ष चुन सकती है। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और ललन सिंह के साथ-साथ तमाम बड़े नेता और संगठन के नेता शामिल होंगे।
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लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जदयू का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? क्या वाकई जदयू का अध्यक्ष पद आरसीपी सिंह छोड़ देंगे? इन्हीं सवालों के बीच सियासी गलियारों में चर्चा गर्म है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार मुंगेर से सांसद और संसद में जदयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह को पार्टी का नया अध्यक्ष बना सकते हैं। पार्टी अध्यक्ष पद की रेस में ललन सिंह सबसे आगे हैं। लेकिन इस पद की रेस में दो-तीन नाम और भी चर्चा में है। सूत्र बता रहे हैं कि हाल में ही पार्टी में शामिल होने वाले उपेंद्र कुशवाहा की अध्यक्ष पद की रेस में है। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के लिए यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह अहम मौके पर उनमें और नीतीश कुमार में अब तक अनबन हुई है ऐसे में वर्तमान परिस्थिति में नीतीश कुमार उन पर इतना भरोसा नहीं कर सकते।
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हालांकि नीतीश कुमार की जातीय समीकरण वाली राजनीति और लव-कुश की जोड़ी को ध्यान में रखते हुए उपेंद्र कुशवाहा को भी अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा है। दलितों को अपने पक्ष में करने के लिए रामनाथ ठाकुर को भी अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि रामनाथ ठाकुर को संगठन में काम करने का ज्यादा अनुभव नहीं है। एक नाम और भी महत्वपूर्ण है वह है वशिष्ठ नारायण सिंह का। वशिष्ठ नारायण सिंह नीतीश कुमार के करीबी भी है और पूर्व में बिहार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पार्टी की गुटबाजी को कम करने में इनकी अहम भूमिका मानी जाती है। लेकिन इनकी उम्र अध्यक्ष पद की रेस में इनके लिए सबसे बड़ा रोड़ा है।
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