Ram Mandir के गर्भग्रह में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, जानें इसके बारे में सब और इससे जुड़े नियम
गर्भगृह के भीतर मूर्तियों का स्थान इष्टदेव के आधार पर अलग हो सकता है। अगर भगवान विष्णु के लिए गर्भ ग्रह की बात करें को मूर्ति को आमतौर पर पीछे की दीवार के सामने स्थित किया जाता है। वहीं शिवलिंग को गर्भगृह के केंद्र में स्थापित किया जाता है।
अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम लला की 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:20 बजे होने वाला है। यह शुभ कार्यक्रम भव्य राम मंदिर के गर्भ गृह में आयोजित किया जाएगा। इसी गर्भ गृग में भगवान श्री राम के पांच वर्षीय बाल स्वरूप की मूर्ति को विराजमान किया जाएगा।
राम मंदिर में प्रतिष्ठा समारोह के बाद देश भर की जनता राम लला के दर्शन मंदिर जाकर कर सकेगी। रामलला के दर्शन भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। राम मंदिर में भी अन्य मंदिरों की तरह गर्भगृह सर्वोपरि महत्व रखता है। बता दें कि गर्भगृह में ही मंदिर के मुख्य देवता का निवास स्थान होता है। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में एक शानदार गर्भगृह का निर्माण हो रहा है जो रामलला का निवास स्थान होगा। इसकी खासियत है कि के दुनिया के सबसे बड़े गर्भगृहों में से एक होगा।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 में शिलापूजन समारोह में गर्भगृह की आधारशिला रखी थी। इसके साथ ही गर्भगृह का निर्माण भी शुरू हो गया था। अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर के गर्भगृह की खासियत है कि ये दुनिया के सभी मंदिरों में सबसे बड़ा गर्भगृह में से एक होने वाला है। इसकी लंबाई 20 फीट और चौड़ाई भी 20 फीट है। जबकि इसकी उंचाई 161 फीट की है।
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पहले तक सबसे बड़ा गर्भगृह गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का है, जिसकी लंबाई 15 फीट और चौड़ाई 15 फीट है। ये गर्भगृह भारत में सबसे बड़ा गर्भगृह माना जाता है।
जानें कैसा दिखता है गर्भ ग्रह
गर्भगृह में कोई खिड़कियाँ स्थापित नहीं होती है। आमतौर पर मंदिर में बने गर्भग्रह में रोशनी काफी कम मात्रा में होती है। इन विशेषताओं को जानबूझकर गर्भगृह में शामिल किया गया है। इस तरह से गर्भ ग्रह को बनाए जाने के पीछे खास कारण है कि भक्त बिना विचलित हुए अपने भगवान के सामने ध्यान लगा सकें और उनकी भक्ति में खुद को डूबा दें। आमतौर पर मंदिर के पश्चिमी कोने में गर्भ गृह का निर्माण किया जाता है। आमतौर पर गर्भ गृह से केवल एक ही दरवाजा जुड़ा होता है और परिसर अन्य तीन तरफ दीवारों से घिरा होता है। गर्भगृह के द्वार को प्रायः सावधानीपूर्वक सजाया जाता है।
जानें कैसा होता है गर्भ ग्रह का आकार
गर्भ गृह को पारंपरिक रूप से चौकोर आकार में डिज़ाइन किया गया है जिसमें तीन तरफ दीवारें और मूर्तियों के सामने एक प्रवेश द्वार है। गर्भ गृह एक मंच पर बनाया गया है, जो ब्रह्मांड के सूक्ष्म जगत का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके केंद्र में देवता की मूर्ति रखी गई है। गर्भ गृह मंदिर के केंद्रीय बिंदु के रूप में कार्य करता है।
गर्भ गृह में मूर्तियां किस स्थिति में रखी जाती हैं?
गर्भगृह के भीतर मूर्तियों का स्थान इष्टदेव के आधार पर अलग हो सकता है। अगर भगवान विष्णु के लिए गर्भ ग्रह की बात करें को मूर्ति को आमतौर पर पीछे की दीवार के सामने स्थित किया जाता है। वहीं शिवलिंग को गर्भगृह के केंद्र में स्थापित किया जाता है। मंदिर के ब्रह्मस्थान के रूप में माना जाने वाला गर्भ गृह एक पवित्र स्थान है जहां धार्मिक समारोहों के लिए वेदी या वेदी स्थित होती है, जो दर्शन के दौरान पवित्रता और उचित पोशाक की आवश्यकता पर जोर देती है।
गर्भ ग्रह का क्यों होता है निर्माण
भगवान की वेदी या वेदी का निर्माण खुले हॉल में नहीं करना चाहिए। पारंपरिक प्रथाओं के अनुसार पुजारियों और भक्तों को गर्भगृह के अंदर अत्यधिक शुद्धता का पालन करना चाहिए। गर्भगृह मंदिर के सबसे महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में कार्य करता है और इसे इस परिसर में दिव्यता और पवित्रता बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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