Parliament में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान और 2024 Loksabha Elections में Modi-Rahul के बीच फिर देखने को मिलेगा महा-मुकाबला
खबर जैसे ही आई वैसे ही कांग्रेस ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। पार्टी की ओर से ट्वीट किया गया कि यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। सत्यमेव जयते, जय हिंद। कांग्रेस का हर नेता और कार्यकर्ता यही बात कह रहा है कि संसद को राहुल गांधी की बहुत जरूरत है।
मोदी उपनाम केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है। हम आपको बता दें कि सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई थी जिसके चलते उनकी लोकसभा सदस्यता चली गयी थी। राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका देकर अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। राहुल गांधी इसके बाद सुप्रीम कोर्ट गये जहां से उन्हें राहत मिल गयी है। इस राहत के चलते उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हो गयी है और वह संसद जा सकेंगे। उन्हें वह सरकारी बंगला भी वापस मिल सकेगा जो सरकार ने उनसे ले लिया था। यही नहीं, अगले सप्ताह लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के जिस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है उसमें भी राहुल गांधी के भाग लेने की संभावना है। यानि संसद में एक बार फिर मोदी और राहुल के बीच टक्कर देखने को मिलेगी। इसके अलावा राहुल गांधी अब चूंकि 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ सकेंगे इसलिए प्रधानमंत्री पद के लिए भी मोदी और राहुल के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा।
राहुल गांधी को राहत मिलने की खबर जैसे ही आई वैसे ही कांग्रेस ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। पार्टी की ओर से ट्वीट किया गया कि यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। सत्यमेव जयते, जय हिंद। कांग्रेस का हर नेता और कार्यकर्ता यही बात कह रहा है कि संसद को राहुल गांधी की बहुत जरूरत है। वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा है और इसे मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका बताया है। लेकिन इंडिया गठबंधन के नेताओं में इस फैसले को लेकर बेचैनी भी है क्योंकि अब तक राहुल गांधी चुनाव लड़ने के अयोग्य थे लेकिन अब उनकी योग्यता बहाल होने से कांग्रेस सहयोगी दलों पर दबाव बनायेगी कि वह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करें। जबकि इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खुद को देखते हैं।
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जहां तक इस मामले की आज हुई सुनवाई की बात है तो इसमें एक रोचक बात यह रही कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वकील ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम मोदी नहीं है, क्योंकि वह मोढ़ वणिक समाज से आते हैं। हम आपको बता दें कि पूर्णेश मोदी ने ही 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। राहुल गांधी ने सभा में टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है?''
इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी और सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय एक व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। पीठ ने कहा, “निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।”
इस बीच, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आसन से अनुरोध किया है कि चूंकि राहुल गांधी को उच्चतम न्यायालय से राहत मिल गयी है, इसलिए उन्हें सदन में आने की अनुमति जल्द से जल्द दी जाए। इस पर स्पीकार ओम बिरला ने कहा है कि अदालत के फैसले की कॉपी मिलने पर मामले को देखा जायेगा।
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