राहुल की सांसदी पर लटकती तलवार, जानें क्या था वो मामला जब सोनिया गांधी को छोड़नी पड़ी थी संसद सदस्यता

Rahul disqualification
ANI
अभिनय आकाश । Mar 23 2023 4:04PM

ये यूपीए-1 के शासनकाल यानी 2006 की बात है जब लाभ के पद को लेकर विवाद की वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक स्थानीय अदालत ने "मोदी सरनेम" पर उनकी टिप्पणी को लेकर दायर एक आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। यह मामला गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि गांधी ने 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है? कह हुए पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया। अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, किसी भी सदस्य को दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे में राहुल गांधी की सदस्यता को लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि राहुल गांधी की मां और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी को भी अपनी संसद सदस्यता छोड़नी पड़ी थी।

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सोनिया गांधी की गई थी सदस्यता

ये यूपीए-1 के शासनकाल यानी 2006 की बात है जब लाभ के पद को लेकर विवाद की वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। सांसद होने के साथ सोनिया को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का चेयरमैन बनाए जाने से लाभ के पद का मामला बन गया था। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार  अगर किसी सांसद या विधायक ने 'लाभ का पद' लिया है तो उसकी सदस्यता जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं।

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लाभ का पद क्या होता है?

संविधान के आर्टिकल 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकता, जहां अलग से सैलरी, अलाउंस या बाकी फायदे मिलते हों। इसके अलावा आर्टिकल 191 (1)(ए) और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के सेक्शन 9 (ए) के तहत भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में सांसदों-विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है।

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